One Nation One Election: कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने पहली बार संसद में कदम रखा है. वह केरल के वायनाड लोकसभा सीट से सांसद चुनी गई हैं. उनके संसद में आगमन के साथ ही कांग्रेस ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी है, जो भारतीय लोकतंत्र के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. केंद्र सरकार ने’वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल लोकसभा में पेश किया गया है और इसके लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. इस समिति में कांग्रेस ने प्रियंका गांधी का नाम भी भेजा है.
JPC के लिए कांग्रेस ने भेजे 4 नाम
प्रियंका गांधी का यह कदम उनके राजनीतिक करियर के एक नए अध्याय की शुरुआत है. जेपीसी का गठन सरकार की ओर से ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए किया जा रहा है, और प्रियंका का योगदान इस बहस में महत्वपूर्ण होगा. इससे पहले शीतकालीन सत्र में सरकार ने इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था, जिसमें विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया था. इसके बाद सरकार ने इस मुद्दे पर विचार करने के लिए जेपीसी का गठन करने का प्रस्ताव रखा. इस समिति में कांग्रेस ने चार नाम भेजे हैं, जिनमें प्रियंका गांधी के अलावा मनीष तिवारी, सुखदेव भगत और रणदीप सुरजेवाला के नाम शामिल हैं. इन चारों का चयन कांग्रेस ने इस महत्वपूर्ण मसले पर सरकार से संवाद करने के लिए किया है.
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ध्यान आकर्षित कर सकती हैं प्रियंका
जेपीसी की बैठक में प्रियंका गांधी के विचार और उनका रवैया बहुत महत्वपूर्ण रहेगा. चुकी यह मुद्दा भारतीय चुनाव प्रणाली के भविष्य से जुड़ा हुआ है, ऐसे में प्रियंका गांधी की राय संसद में और जनता के बीच ध्यान आकर्षित कर सकती है. प्रियंका का नाम कांग्रेस की तरफ से भेजे गए चार उम्मीदवारों में शामिल होना उनकी बढ़ती राजनीतिक भूमिका को भी दर्शाता है.
सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए इसे संसद में पेश किया था और कहा था कि इस पर व्यापक चर्चा के लिए इसे जेपीसी के पास भेजा जाएगा. इस विधेयक का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना है, जिससे चुनावी प्रक्रिया को सरल और खर्च में कमी लाई जा सके. हालांकि, इस प्रस्ताव पर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है और इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया है.
कांग्रेस ने इस प्रस्ताव पर सरकार से खुले तौर पर बातचीत करने का फैसला किया है, ताकि इस पर सभी पक्षों की राय सही तरीके से ली जा सके. प्रियंका गांधी के संसद में कदम रखने के बाद इस महत्वपूर्ण मसले पर उनका दृष्टिकोण देश के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रियंका गांधी अपनी भूमिका कैसे निभाती हैं और उनका असर इस मसले पर कितना होता है.