Cyclone Dana: चक्रवात ‘दाना’ ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में दस्तक देने को तैयार है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इसकी गंभीरता को देखते हुए सभी संबंधित विभागों को हाई अलर्ट पर रखा है. इसके चलते पूर्वी तटीय रेलवे ने 178 ट्रेनों को रद्द करने का फैसला किया है. यह तूफान 24 या 25 अक्टूबर की रात को ओडिशा में पहुंचने की उम्मीद है. IMD के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी पर बना दबाव तेज हो गया है, जिससे इसके गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की आशंका जताई जा रही है.
ओडिशा और बंगाल में ही क्यों?
अब सवाल उठता है कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल में बार-बार ये खतरनाक तूफान क्यों आते हैं. इसके पीछे कई भौगोलिक और मौसमी कारण हैं. दरअसल, ओडिशा और पश्चिम बंगाल दोनों ही बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित हैं. यहां का गर्म समुद्री पानी और हवा की नमी चक्रवातों के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करते हैं. जब समुद्र का तापमान बढ़ता है तो ये तूफान आसानी से विकसित होते हैं. गर्म पानी से वाष्प उठता है, जो बाद में चक्रवातों को जन्म देता है.
मौसमी प्रभाव
हर साल, गर्मियों के अंत और मानसून के दौरान (अप्रैल से नवंबर) बंगाल की खाड़ी का तापमान अधिक हो जाता है. इससे कम वायुदाब वाले क्षेत्र बनते हैं, जो चक्रवातों का निर्माण करते हैं. ये चक्रवात फिर पूर्वी तटों की ओर बढ़ते हैं, जिससे ओडिशा और पश्चिम बंगाल में तबाही मचती है.
दक्षिणी एशियाई मानसून
दक्षिण-पश्चिम मानसून का प्रवाह भी चक्रवातों की दिशा और तीव्रता को प्रभावित करता है. मानसून के दौरान और इसके बाद, बंगाल की खाड़ी में पैदा होने वाले चक्रवात अक्सर उत्तर-पूर्व दिशा में बढ़ते हैं, जिससे ओडिशा और बंगाल के तटीय इलाकों पर गंभीर असर पड़ता है.
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हवा का प्रवाह
ऊपरी वायुमंडल की हवा की दिशा भी तूफानों की दिशा तय करती है. बंगाल की खाड़ी में बनी परिस्थितियां अक्सर ओडिशा और पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ने वाली तूफानों के लिए अनुकूल होती हैं. इससे ये तूफान इन राज्यों की ओर तेजी से बढ़ते हैं और भारी तबाही मचा सकते हैं.
तूफानों के नामकरण का राज
आपने कभी सोचा है कि ये अजीब नाम कैसे रखे जाते हैं? तूफानों के नाम रखने की प्रक्रिया 2000 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) और एशिया-प्रशांत आयोग ने शुरू की थी. इस प्रक्रिया में भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार और अन्य देशों का सहयोग शामिल है.
इस बार के चक्रवाती तूफान ‘दाना’ का नाम कतर ने रखा है, जिसका अरबी में मतलब ‘उदारता’ होता है. नाम रखने के लिए कुछ खास दिशा-निर्देश होते हैं, जैसे कि नाम में किसी भी धार्मिक या राजनीतिक तत्व को शामिल नहीं किया जाना चाहिए.
क्या करें जब तूफान आए?
इन तूफानों के खतरे को देखते हुए सभी नागरिकों को सावधान रहना चाहिए. स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें. सुरक्षित स्थानों पर जाएं और किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रहें. इस बार चक्रवात ‘दाना’ के खतरे से निपटने के लिए तैयार रहिए. सुरक्षित रहिए और अपने आसपास के लोगों का भी ख्याल रखिए!