Deep Depression Fengal: नवंबर 30, 2024 की शाम, पुडुचेरी के तटीय इलाकों में तेज हवाओं और भारी बारिश के साथ चक्रवात फेंगल ने दस्तक दी. इसे लेकर पहले से ही मौसम विभाग ने चेतावनी जारी कर दी थी, लेकिन किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह चक्रवात अपने साथ इतनी भयावह तबाही लेकर आएगा. जैसे ही चक्रवात ने पुडुचेरी में प्रवेश किया, इसकी ताकत ने पूरे क्षेत्र में तबाही मचा दी.
चक्रवात का लैंडफॉल
चक्रवात फेंगल ने शनिवार, 30 नवंबर की शाम लगभग 7:15 बजे पुडुचेरी के पास लैंडफॉल किया. चक्रवात ने तट से टकराते हुए अपनी दिशा को थोड़ा सा बदलते हुए पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम दिशा में बढ़ना शुरू किया. इसके साथ ही, चक्रवात की तीव्रता में कमी आने लगी, और यह एक गहरे दबाव क्षेत्र में बदल गया, लेकिन इसके प्रभाव कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. भारी बारिश और तेज हवाओं के कारण पुडुचेरी और तमिलनाडु के कई इलाकों में जलभराव, बाढ़, और इमारतों को नुकसान हुआ है.
भारी बारिश और बाढ़ का खतरा
मौसम विभाग ने पहले ही चक्रवात के मद्देनजर भारी बारिश की चेतावनी दी थी. पुडुचेरी, चेन्नई, तिरुवल्लूर, कांचीपेट, कल्लाकुरिची, कडालूर और अन्य प्रमुख जिलों में लगातार बारिश हो रही है. बारिश के साथ तेज हवाएं चलने के कारण कई जगहों पर सड़कें जलमग्न हो गईं, जिससे लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया.
चेन्नई में खासतौर पर स्थिति गंभीर है. कई इलाके जलमग्न हो गए , और लोगों के घरों में पानी घुसने से कई परिवारों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी. मौसम विभाग ने आने वाले 48 घंटों में भारी से अत्यधिक भारी बारिश की चेतावनी दी है जिससे और भी अधिक तबाही का अंदेशा है.
परिवहन व्यवस्था लगभग ठप!
चक्रवात के प्रभाव के कारण चेन्नई हवाईअड्डा रात 12 बजे तक बंद रहा, और 1 दिसंबर को सुबह 4 बजे तक उड़ानों का संचालन शुरू नहीं हो सका. इसके चलते सैकड़ों फ्लाइट्स रद्द कर दी गईं और यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा.साथ ही, चेन्नई रेलवे स्टेशन पर भी ट्रेनों का संचालन प्रभावित हुआ. कई ट्रेनों को रद्द या फिर मार्ग में बदलाव कर दिया गया क्योंकि ट्रैक पर पानी भर गया था, और सुरक्षा कारणों से रेल संचालन रोकना पड़ा.
आपातकालीन बचाव कार्य और राहत ऑपरेशन
चक्रवात फेंगल के असर से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र पुडुचेरी और चेन्नई है. इन दोनों जगहों पर आपातकालीन बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं. भारतीय सेना ने पुडुचेरी से 100 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर इवेलुएट किया. यह अभियान सुबह 6:15 बजे शुरू हुआ, और सेना ने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी व्यक्ति फंसा न रहे. राहत और बचाव कार्यों के दौरान स्थानीय प्रशासन, पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें भी सक्रिय रूप से काम कर रही थीं.
3 लोगों की मौत
जहां चक्रवात ने भारी तबाही मचाई, वहीं कुछ दुखद घटनाओं ने इस त्रासदी को और भी दिल दहला देने वाला बना दिया. चेन्नई में बारिश और आंधी के कारण बिजली के तारों में गड़बड़ी हुई, और कम से कम तीन लोगों की जान बिजली करंट लगने से चली गई.
मौसम की स्थिति और चेतावनियां
चक्रवात के चलते हवा की गति 70 से 80 किमी/घंटा तक पहुंच गई है, और कुछ स्थानों पर हवाओं की गति 90 किमी/घंटा तक भी पहुंच गई. यह स्थिति काफी खतरनाक थी. मौसम विभाग ने कई तटीय इलाकों के लिए रेड अलर्ट जारी किया था, जो संभावित बाढ़ और अन्य खतरों का संकेत था. समुद्र में ऊंची लहरों के कारण मछुआरों को समुद्र में न जाने की चेतावनी दी गई है. तटीय इलाकों में उच्च ज्वार और तूफानी लहरों के कारण नावों और मछली पकड़ने वाले जहाजों के नुकसान की संभावना जताई जा रही है.
‘फेंगल’ नाम का प्रस्ताव कैसे रखा गया?
चक्रवातों के नामों की मौजूदा लिस्ट 2020 में तैयार की गई थी, जिसमें प्रत्येक सदस्य राज्य 13 नामों का योगदान देता है. इन नामों का इस्तेमाल रोटेशन में किया जाता है. किसी भी नाम का दोबारा इस्तेमाल नहीं होता है यानी कि हिंद महासागर क्षेत्र में आया हर चक्रवात अलग नाम से जाना जाता है. उदाहरण के लिए, ‘फेंगल’ नाम का सुझाव सऊदी अरब ने दिया था. इसके बाद अब जो भी अगला चक्रवात आएगा उसका नाम ‘शक्ति’ रखा जाएगा और इस नाम को श्रीलंका ने सुझाया है. वहीं, इसके बाद कतार में थाईलैंड है और उसने ‘शक्ति’ के बाद के चक्रवात के लिए ‘मोंथा’ नाम दिया है.
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सार्वजनिक सुरक्षा के उपाय
सुरक्षा के लिहाज से स्थानीय प्रशासन ने स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने का आदेश दिया है. साथ ही, राहत कार्यों के लिए आपातकालीन सेवाओं को सक्रिय किया गया था. एनडीआरएफ की टीमों को प्रभावित इलाकों में तैनात किया गया था, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके. स्थानीय लोग भी राहत शिविरों में शरण लेने लगे थे, जहां उन्हें भोजन, पानी और प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराई जा रही है.
चक्रवात फेंगल ने तमिलनाडु और पुडुचेरी में भारी तबाही मचाई है, लेकिन प्रशासन और राहत टीमों की सक्रियता के कारण अधिक नुकसान से बचाव हुआ. हालांकि, कई लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे, और जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ. अब तक के हालात यह बताते हैं कि चक्रवात के बाद बचाव कार्यों में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है, और आने वाले दिनों में स्थिति बेहतर होने की उम्मीद है.
स्थानीय प्रशासन ने लोगों को घरों में रहने की सलाह दी है, ताकि किसी भी अप्रत्याशित घटना से बचा जा सके. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यह आवश्यक है कि लोग मौसम विभाग और प्रशासन की सलाह का पालन करें, ताकि अधिक से अधिक जानमाल की रक्षा की जा सके.