Delhi Election: दिल्ली में 2024 विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. आम आदमी पार्टी ने अपनी प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है, जिसमें एक नाम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. यह नाम है नरेश यादव, जो महरौली सीट से ‘आप’ के उम्मीदवार हैं. नरेश यादव का नाम अचानक विवादों में आ गया है, क्योंकि उन पर ‘कुरान के अपमान’ का आरोप है. इस मामले ने अब दिल्ली चुनाव को एक नया मोड़ दे दिया है और इसे लेकर राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी रणनीतियां बना रही हैं.
नरेश यादव और ‘कुरान का अपमान’
यह विवाद साल 2016 से जुड़ा हुआ है, जब मालेरकोटला जिले में पवित्र कुरान के कुछ पन्ने फटे हुए पाए गए थे. प्रारंभ में पुलिस ने विजय, गौरव और किशोर पर इस मामले में कार्रवाई की, लेकिन बाद में यह आरोप नरेश यादव पर भी लगा. शुरूआत में उन्हें अदालत ने बरी कर दिया था, लेकिन शिकायतकर्ता मोहम्मद अशरफ ने फैसले के खिलाफ अपील की. 30 नवंबर 2024 को अदालत ने नरेश यादव को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा और 11 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 295A (धार्मिक आस्था का अपमान), 153A (धर्म के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देना) और 120B (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी पाया गया.
नरेश यादव की सजा ने इस विवाद को और भी उकसाया. उनका पार्टी से निष्कासन की मांग जोर पकड़ी, लेकिन ‘आप’ ने उन्हें टिकट देने का फैसला किया. इस फैसले के बाद ‘आप’ पर आरोपों की झड़ी लग गई, और राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को खूब हवा दी.
AIMIM का राजनीतिक हमला
अब दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी ने इस मुद्दे को भुनाने का प्रयास किया है. एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने नरेश यादव को महरौली से उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध किया है. ओवैसी ने इसे ‘मुसलमानों की गाल पर तमाचा’ करार दिया और कहा कि यह इस्लाम के खिलाफ है. इसके साथ ही पार्टी ने मुस्तफाबाद में विरोध प्रदर्शन भी किया, जिसमें अरविंद केजरीवाल के पुतले पर चप्पल मारी गई और ‘आप’ को मुस्लिम वोटरों से धोखा देने वाला करार दिया गया.
एआईएमआईएम के नेताओं ने सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया है. पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष शोएब जमई ने वीडियो साझा कर कहा कि ‘आप’ ने कुरान का अपमान करने वाले नरेश यादव को टिकट देकर मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. इसने पार्टी के विरोध को और तेज कर दिया है.
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बीजेपी का रुख
बीजेपी भी इस विवाद को लेकर सक्रिय हो गई है. भाजपा ने इस मामले को अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. भाजपा ने अल्पसंख्यक मोर्चे के माध्यम से नरेश यादव के खिलाफ प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि ‘आप’ ने मुसलमानों की भावनाओं को नजरअंदाज कर दिया है. इस मामले में भाजपा की रणनीति ‘आप’ को मुस्लिम वोटरों के बीच अलग-थलग करना और उसे चुनाव में नुकसान पहुंचाना है.
क्या ‘आप’ को होगा नुकसान?
दिल्ली में पिछले दो विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने मुस्लिम वोटरों का समर्थन हासिल किया, और पार्टी ने मुस्लिम बहुल सीटों पर बड़ी जीत दर्ज की थी. खासकर उन क्षेत्रों में जहां पहले कांग्रेस का दबदबा था. मुसलमानों ने भी आप का खूब साथ दिया था. अब, नरेश यादव के खिलाफ विवाद ने पार्टी के मुस्लिम वोटबैंक को खतरे में डाल दिया है.
एआईएमआईएम की कोशिश है कि इस मुद्दे का फायदा उठाकर दिल्ली के मुसलमानों को अपनी ओर खींचा जाए. पार्टी ने दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन को भी मुस्तफाबाद से टिकट दिया है, और अब वह नरेश यादव के मामले को भुनाने में जुटी है. इस मुद्दे ने ‘आप’ के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है. दिल्ली में भाजपा और एआईएमआईएम दोनों ही दलों ने इस मामले को लेकर ‘आप’ को घेरे रखा है, और यह देखा जाएगा कि क्या ‘आप’ इसे ठीक से संभाल पाती है या नहीं.
दिल्ली की सियासत में मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2024 में मुस्लिम वोट बैंक की भूमिका बेहद अहम होने वाली है. दिल्ली में मुस्लिम आबादी करीब 12% है, जिसका मतलब है कि हर आठवां वोटर मुसलमान है. यह संख्या इतनी महत्वपूर्ण है कि दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से कई सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव निर्णायक बनता है. खासकर बल्लीमारान, सीलमपुर, ओखला, मुस्तफाबाद, चांदनी चौक, मटिया महल, बाबरपुर, दिलशाद गार्डन, और किराड़ी जैसे इलाकों में मुस्लिम मतदाताओं का वोट अहमियत रखता है.
इसके अलावा, त्रिलोकपुरी और सीमापुरी जैसे इलाके भी चुनावी रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जहां मुस्लिम वोटर अपने निर्णायक प्रभाव से चुनाव की दिशा बदल सकते हैं.
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मुस्लिम वोटरों का वोटिंग पैटर्न
दिल्ली में मुस्लिम वोटिंग पैटर्न पहले बहुत अलग था. एक समय था जब मुस्लिम समुदाय पूरी तरह से कांग्रेस का परंपरागत वोटर था, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनी सियासी प्राथमिकताएं बदल लीं. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से अच्छी सफलता मिली थी, जहां 8 में से 4 सीटें मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं. इसके बाद, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में मुस्लिम मतदाता पूरी तरह से अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ खड़े हुए.
AAP ने अपने शासनकाल में दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में बिजली, पानी, और सड़क जैसे अहम मुद्दों पर सुधार किए थे, जिससे पार्टी को भारी समर्थन मिला. हालांकि, 2020 में सीलमपुर दंगे के बाद, मुस्लिम समुदाय में कुछ नाराजगी बढ़ी, जिसका फायदा कांग्रेस को 2022 के एमसीडी चुनाव में हुआ. हालांकि, इस बरा ‘कुरान का अपमान’ वाले मुद्दे से मुस्लिम मतदाता आप के खिलाफ जा सकते हैं.
हालांकि, अब दिल्ली विधानसभा चुनाव में नरेश यादव का कुरान विवाद एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा बन गया है. मुस्लिम वोटरों के बीच यह बहस तेज हो सकती है, क्योंकि इस मामले में धार्मिक भावनाओं का सवाल उठता है. ‘आप’ को जहां अपने मुस्लिम वोटबैंक को बचाने की चुनौती है, वहीं एआईएमआईएम और भाजपा इस मुद्दे का फायदा उठाने की कोशिश में हैं. यह चुनाव केवल पार्टी के लिए नहीं, बल्कि दिल्ली के मुस्लिम समुदाय के लिए भी एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है, जो इस विवाद को अपनी धार्मिक आस्था और भावनाओं से जोड़कर देख रहे हैं.