Delhi News: दिल्ली की महरौली मस्जिद पर गुरुवार की सुबह पुलिस पहुंची. इस दौरान इमाम जाकिर हुसैन सुबह की नमाज के लिए तैयार हो रहे थे. तभी पुलिस ने मस्जिद परिसर में चल रहे मदरसे को बच्चों से सामान पैक करके चले जाने के लिए कहा. बताया जाता है कि डीडीए ने बीते 30 जनवरी के अखूंदजी मस्जिद और बहरूल उलूम मदरसे पर कार्रवाई करते हुए ध्वस्त कर दिया था. वहीं स्थानीय लोगों का दावा है कि मस्जिद रजिया सुल्तान के शासनकाल के समय बनी है, जो कि 600-700 साल पुरानी हो गई है.
इसकी परिसर में एक मस्जिद, मदरसा और कब्रिस्तान था लेकिन बताया जा रहा है कि ये पुरानी मस्जिद का हिस्सा नहीं है. बीते डेढ़ साल से इस मस्जिद के इमाम जाकिर हुसैन हैं. उन्होंने बताया कि डीडीए ने कार्रवाई से पहले केवल हमे मुश्किल से दस मिनट का समय दिया था. इमाम का आरोप है कि डीडीए के अधिकारियों ने पहले उनका फोन छीन लिया और उसके बाद उन्हें किनारे ले जाकर पुलिस की निगरानी में रख दिया गया.
CRPF तैनात कर हुई कार्रवाई
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार डीडीए की कार्रवाई के दौरान इस परिसर के चारों ओर सीआईएसएफ के जवानों को तैनात कर दिया गया था. इस बुलडोजर कार्रवाई के बाद मस्जिद के मलवे को समेटकर वो लेते चले गए. शमस्तबरेज खान ने अपनी पत्नी इशरतुन निशा को अगस्त 2020 में इसी मस्जिद परिसर के कब्रिस्तान में दफनाया था. अब उनका आरोप है कि कब्रिस्तान पर भी एक्शन हुआ है और उनके पत्नी की कब्र को अपवित्र कर दिया गया है.
ये भी पढ़ें: Budget 2024: स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार पर सरकार का जोर, वित्त मंत्री ने किया ये ऐलान, इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस
उन्होंने बताया कि मेरी पत्नी की मौत लीवर की समस्या के कारण हुई थी. उस समय कोरोना काल के दौरान ये कब्रिस्तान ढूंढना काफी मुश्किल था. दावा है कि इस मस्जिद पर जब डीडीए की कार्रवाई खत्म हो गई तब मदरसे में रह रहे बच्चों के माता-पिता को सूचना दी गई. मोहम्मद सोहेल शेख बुधवार को ही अपने बेटे से मिलने के लिए कश्मीर से यहां पहुंचे थे. लेकिन उनका बेटा मदरसा से गायब था, जब वो बच्चा खड़ा था वहां बड़ी संख्या में पुलिस तैनात थी.