Vistaar NEWS

खूब पढ़ी-लिखी फिर भी क्या ‘राबड़ी-मनमोहन’ से आगे बढ़ पाएंगी आतिशी?

आतिशी और अरविंद केजरीवाल

आतिशी और अरविंद केजरीवाल

Delhi Politics: दिल्ली में अब एक नई कहानी शुरू हो रही है. आतिशी को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री चुन लिया गया है. यह बदलाव दिल्ली की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है, लेकिन आतिशी के शब्दों ने सवाल उठाए हैं कि क्या असली शक्ति उनके हाथ में होगी या फिर वह केवल अरविंद केजरीवाल की छाया में रहेंगी.

आतिशी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “मैं यह जरूर कहना चाहती हूं कि आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों और दिल्ली की दो करोड़ जनता की तरफ से दिल्ली का एक ही मुख्यमंत्री है और उसका नाम अरविंद केजरीवाल है.” उनके इस बयान ने बहुत से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. क्या यह संकेत है कि आतिशी मुख्यमंत्री तो बन गई हैं, लेकिन असली सत्ता अब भी अरविंद केजरीवाल के पास रहेगी?

सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की कहानी

इस स्थिति की याद हमें 2004 से 2014 तक के भारत की राजनीति की कहानी की ओर ले जाती है. उस समय सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष थीं और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. हालांकि, यह आम धारणा थी कि सोनिया गांधी असली ताकत थीं और मनमोहन सिंह केवल एक नाममात्र के प्रधानमंत्री थे.

सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाकर एक नई व्यवस्था स्थापित की. इसके पीछे का तर्क था कि यूपीए के कई साथी दलों के घोषणापत्र को लागू करने के लिए एक ऐसे संगठन की जरूरत है जो सरकार को सही सुझाव दे सके. इस संगठन का नाम था राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (NAC), जिसकी अध्यक्षता सोनिया गांधी ने की. यह संगठन फैसले लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगा, और यह माना गया कि असली ताकत सोनिया गांधी के हाथ में थी, जबकि मनमोहन सिंह को सीमित स्वतंत्रता मिली थी.

यह भी पढ़ें: मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकती है केजरीवाल की नई चाल! आतिशी के CM बनने से क्या बदलेंगे दिल्ली के सियासी समीकरण?

राबड़ी देवी का उदाहरण

अब अगर हम बिहार की राजनीति पर नजर डालें, तो एक और उदाहरण मिलता है. 1997 में जब लालू प्रसाद यादव को पशुपालन घोटाले के कारण मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, तो उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया. हालांकि राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं, पर असली सत्ता और निर्णय लेने की ताकत लालू यादव के पास ही रही. यही स्थिति अब दिल्ली में भी देखी जा रही है, जहां आतिशी को मुख्यमंत्री बनने के बावजूद सवाल उठ रहे हैं कि क्या असली ताकत अरविंद केजरीवाल के पास ही रहेगी.

आतिशी की भूमिका और भविष्य की राजनीति

अब जब आतिशी मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं, तो सवाल यह उठता है कि क्या उनकी भूमिका सिर्फ एक नाममात्र की होगी? क्या वे केवल एक प्रतीक बनकर रह जाएंगी और असली निर्णय अरविंद केजरीवाल ही लेंगे? यह सवाल राजनीतिक विश्लेषकों और विरोधियों के बीच चर्चा का विषय बन गया है.

हालांकि, दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हो रहा है. आतिशी ने मुख्यमंत्री का पद संभाला है, लेकिन अरविंद केजरीवाल की छाया अभी भी बनी हुई है. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आतिशी अपनी भूमिका में स्वतंत्रता पा सकेंगी, या फिर उन्हें अरविंद केजरीवाल के निर्देशों के तहत ही काम करना पड़ेगा. समय ही बताएगा कि यह बदलाव दिल्ली की राजनीति में कितना प्रभावी रहेगा.

Exit mobile version