PM Shri Yojana: पीएम श्री योजना को विपक्ष शासित तीन राज्यों ने सिरे से खारिज कर दिया है. इस योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2022 में टीचर डे के अवसर पर की थी. पीएम श्री योजना के तहत देश भर के 14,500 स्कूलों को विकास और नई मॉडल से जोड़ने का प्लान है. इसको लेकर केंद्र सरकार अगले पांच साल तक के लिए 27 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बजट तय कर चुकी है.
बता दें कि पीएम श्री योजना में आने वाले खर्च को 60 प्रतिशत केंद्र जबकि 40 प्रतिशत राज्यों को वहन करना है. इस योजना को दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने राज्यों में लागू करने से इनकार कर दिया है. दिल्ली और पंजाब सरकार का कहना है कि उनके यहां ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’ चल रहे हैं. वहीं, पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने इस योजना का नाम ‘पीएम श्री होने’ को लेकर आपत्ति जताई है. इसके साथ ही इस वजह से भी विरोध किया क्योंकि इस योजना में राज्य की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है.
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देश के अधिकांश राज्यों में भाजपा या एनडीए गठबंधन की सरकार है. एनडीए शासित राज्यों में इस योजना को बिना देरी किए शुरु किया जा चुका है, लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी हैं जिन्होंने अभी इस योजना को लेकर केंद्र के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किया है. ये राज्य तमिलनाडु, केरल, पंजाब, दिल्ली और पश्चिम बंगाल. एक ओर जहां दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल ने इस योजना को लागू करने के इनकार कर दिया है. वहीं, तमिलनाडु और केरल ने इससे जुड़ने की इच्छा जताई है.
इस बीच खबर है कि केंद्र सरकार ने योजना को लागू नहीं करने के कारण दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल के पिछले वित्तीय वर्ष की दो तिमाही का एसएसए फंड को रोक दिया है. यानी इन तीनों राज्यों को अक्टूबर-दिसंबर और जनवरी-मार्च के लिए कोई किस्त नहीं मिली है. इतना ही नहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष की अप्रैल-जून की पहली किस्त भी नहीं मिली है. बताया जा रहा है कि तीनों राज्यों ने केंद्र को पत्र लिखकर एसएसए फंड जारी करने की मांग की है.