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10 मंजिला इमारत, फ्लोर दर फ्लोर पावर का ‘खेल’…कहानी दिल्ली सचिवालय की

Delhi Secretariat

दिल्ली सचिवालय

Delhi Secretariat: राष्ट्रीय राजधानी की नई नवेली मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कामकाज संभाल लिया है, इसके साथ ही दिल्ली सचिवालय में सत्ता के समीकरण भी बदलने लगे हैं. सचिवालय ऐसी जगह है जहां दिल्ली की राजनीति का असली खेल खेला जाता है. आईटीओ के पास स्थित इस 10 मंजिला इमारत में हर मंजिल पर सत्ता का समीकरण बदलता है. जैसे एक बड़ा पजल होता है, ठीक वैसे ही इस इमारत में हर फ्लोर पर किसी न किसी की ताकत छिपी हुई है. तो चलिए, जानते हैं इस दिलचस्प इमारत की कहानी, जहां हर फ्लोर पर राजनीति की नई तस्वीर बनती है.

दिल्ली में सत्ता का ‘हॉट स्पॉट’

सबसे पहले बात करते हैं तीसरी मंजिल की, जो दिल्ली के मुख्यमंत्री का ऑफिस है. जब रेखा गुप्ता ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो हर किसी की नजरें इस ऑफिस पर थीं. पहले इस ऑफिस का रूप काफी साधारण था, लेकिन केजरीवाल सरकार के दौरान इसे पूरी तरह से बदल दिया गया था. अब ये चमचमाता हुआ ऑफिस राजनीतिक ताकत का अहसास कराता है. पुराने दिनों में शीला दीक्षित के समय पर इस मंजिल पर कैबिनेट मीटिंग्स होती थीं, लेकिन केजरीवाल के आने के बाद ये ऑफिस थोड़ा साइडलाइन हो गया, क्योंकि उनके ज्यादातर काम सिविल लाइंस के मुख्यमंत्री आवास से होते थे.

फ्लोर दर फ्लोर सत्ता का बदलाव

अब आते हैं फ्लोर पर, जहां सत्ता के समीकरण बदलते हैं. तीसरी मंजिल के बाद, चौथी और पांचवीं मंजिल पर कोई मंत्री नहीं बैठता. चौथी मंजिल पर दिल्ली के वित्त और विजिलेंस विभाग हैं, और पांचवीं मंजिल पर मुख्य सचिव का ऑफिस है. लेकिन जब बात होती है मंत्रियों के दफ्तर की, तो ये फ्लोर छठे, सातवें, और आठवें पर होते हैं.

पहले, शीला दीक्षित के समय में ये फ्लोर कुछ अलग तरीके से काम करते थे, लेकिन केजरीवाल के आने के बाद इसमें बदलाव हुआ. खासकर मनीष सिसोदिया, जब दिल्ली के उपमुख्यमंत्री बने, तो उनके पास 18 विभागों की जिम्मेदारी थी, और वे अकेले छठी मंजिल पर काम करने लगे. इसके बाद सातवीं मंजिल पर तीन मंत्री बैठने लगे.

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बदलते राजनेता, बदलती मंजिलें

दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने के बाद, दिल्ली सचिवालय में कई और बदलाव देखने को मिले. 27 साल बाद किसी भाजपा के मुख्यमंत्री ने दिल्ली सचिवालय में कदम रखा. अब, छठी मंजिल पर प्रवेश सिंह वर्मा का दफ्तर है. सातवीं मंजिल पर आशीष सूद, डॉ. पंकज सिंह, और रविंद्र इंद्रराज के दफ्तर हैं. वहीं, आठवीं मंजिल पर मनजिंदर सिंह सिरसा और कपिल मिश्रा का ऑफिस है.

सूत्रों के मुताबिक, कुछ मंत्रियों को इस फ्लोर के बंटवारे पर आपत्ति है, और ये तय नहीं है कि आने वाले दिनों में क्या इसमें बदलाव होगा या नहीं. राजनीति के फ्लोर पर बदलाव होना सामान्य बात है, और दिल्ली सचिवालय इस बदलाव का गवाह बनता रहता है.

दिल्ली सचिवालय का दिलचस्प इतिहास

दिल्ली सचिवालय की इमारत अपने आप में एक दिलचस्प कहानी है. कभी इसे एक होटल की तरह डिजाइन किया गया था और इसका नाम ‘प्लेयरस बिल्डिंग’ रखा गया था. 1982 में दिल्ली में एशियन गेम्स हुए थे. उस वक्त ये इमारत खिलाड़ियों के लिए बनाई गई थी. लेकिन जब खेल खत्म हुए, तो यह इमारत कई सालों तक खाली पड़ी रही. फिर 1997 में केंद्र सरकार ने इसे दिल्ली सरकार को 40 करोड़ रुपये में बेच दिया और यहीं से दिल्ली सचिवालय की कहानी शुरू हुई.

नक्शे के मुताबिक सत्ता का खेल

दिल्ली सचिवालय का हर फ्लोर राजनीति के नए रंगों को दर्शाता है. जब दिल्ली में सत्ता बदलती है, तो सचिवालय में भी बदलाव आता है. सीएम का ऑफिस हो या मंत्री का, हर मंजिल पर एक नई ताकत अपना असर छोड़ती है. यहां सत्ता के कई रंग, कई रूप देखने को मिलते हैं. चाहे आप दिल्ली के इतिहास को समझना चाहें या फिर वर्तमान सत्ता की स्थिति को, इस इमारत की मंजिलें आपको पूरी कहानी बताती हैं.

दिल्ली सचिवालय सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि यह दिल्ली की राजनीति का दिल है. यहां की हर मंजिल, हर फ्लोर, और हर ऑफिस की अपनी पहचान है. यहां के फैसले ना केवल दिल्ली के भविष्य को आकार देते हैं, बल्कि पूरे देश की राजनीति को प्रभावित करते हैं.

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