History Of Detention Center: बीते सोमवार को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 लागू कर दिया है. गृह मंत्रालयल ने नोटीफिकेशन जारी कर इस बात की जानकारी दी है. गृह मंत्री अमित शाह ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर इस बाता की जानकारी दी है. CAA लागू होते से भारतीय नागरिकता से जुड़े 2 नियमों पर तुरंत असर होगा. इसमें पहला है साल 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलेगी. दूसरा अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों की पहचान कर पहले उसे डिटेंशन सेंटर और इसके बाद उसको अपने देश वापस भेज दिया जाएगा.
वर्तमान में भारत में हैं 9 डिटेंशन सेंटर
ऐसे में डिटेंशन सेंटर को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है. बता दें कि डिटेंशन सेंटर को हिरासत केंद्र भी कहा जाता है. यह एक जेल की तरह ही होता है. इस सेंटर में अवैध रूप से रह रहे लोगों को रखा जाता है. बता दें कि वर्तमान में भारत में डिटेंशन सेंटर की कुल संख्या 9 है. इनमें 6 डिटेंशन सेंटर का उपयोग किया जा रहा है.
डिटेंशन सेंटर का इतिहास
- 15वीं शताब्दी में पहली बार डिटेंशन सेंटर आस्तित्व में आया था.
- साल 1417 में फ्रांस में कार ह्यूगेज ऑब्रिअट ने एक डिटेंशन सेंटर का खाका बनाया था.
- यह सेंटर 8 टावरों वाला केंद्र था, जिसे बेसिले सैंट-एंटोनी के नाम से भी जाना जाता है.
- फ्रांसीसी राजा इस सेंटर का इस्तेमाल अवैध प्रवासियों और युद्धबंदियों को रखने के लिए करते थे.
- कहा जाता है कि डिटेंशन सेंटर के वास्तुकार ह्यूगेज ऑब्रिअट को भी इसी सेंटर में कैद कर दिया गया.
- अमेरिका ने सास 1892 में पहला डिटेंशन सेंटर तैयार किया था
- वर्तमान में दुनिया में सबसे ज्यादा डिटेंशन सेंटर अमेरिका में ही हैं.
- द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हिटलर के आदेश यहूदियों पर अत्याचार को लेकर वक्त डिटेंशन सेंटर तब सुर्खियों में आया.
- कहा जाता है कि आश्विच कंसन्ट्रेशन कैंप में जर्मनी के नाजी सैनिकों ने 9 लाख 60 हजार यहूदियों को मार दिया.
भारत में डिटेंशन सेंटर का इतिहास
- 2009 में गुवाहाटी HC के निर्देश के बाद असम सरकार ने डिटेंशन सेंटर पर काम करना शुरू किया.
- 2011 में असम के ग्वालपाड़ा में 1000-1200 लोगों की क्षमता वाला पहला डिटेंशन सेंटर बनकर तैयार हुआ.
- पहले सेंटर के बाद असम में साल 2020 तक कुल 6 डिटेंशन सेंटर बनाए गए.
- असम के ग्वालपाड़ा के बाद कोकराझाड़, तेजपुर, जोरहाट, डिब्रूगढ़ और सिलचर जेल में डिटेंशन सेंटर बनाए गए.
- असम के अलावा महाराष्ट्र में भी डिटेंशन सेंटर बनाने की योजना पर काम जारी.
- साल 2023 में महाराष्ट्र के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने बालेगांव में डिटेंशन सेंटर बनाने की घोषणा की थी.
- इन दोनों राज्यों के अलावा गोवा और दिल्ली में भी डिटेंशन सेंटर के निर्माण को लेकर प्रस्ताव रखा गया है.
भारत में डिटेंशन सेंटर का स्ट्रक्चर
- केंद्र सरकार के मुताबिक भारत में अभी 6 डिटेंशन सेंटर का उपयोग किया जा रहा है.
- सभी डिटेंशन सेंटर में बिजली, पानी, बेड, शौचालय और मेडिकल सुविधा जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं.
- जानकारी के मुताबिक एक डिटेंशन सेंटर में करीब 1200-1600 लोगों की रहने की व्यवस्था है
- असम की तर्ज पर ही महाराष्ट्र और अन्य राज्य डिटेंशन सेंटर बनाने की तैयारी की जा रही है.
- मानवाधिकार आयोग ने साल 2018 में असम में स्थित डिटेंशन सेंटर का दौरा किया था.
- आयोग के मुताबिक हिरासत केंद्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों को सौंपी गई है.
- असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर, कांस्टेबल और सिपाही डिटेंशन सेंटर की कड़ी निगरानी करते हैं.
जेल से अलग होता है डिटेंशन सेंटर
कैदियों को रखने के तौर-तरीके को छोड़कर भारत में जेल और हिरासत केंद्र में ज्यादा अंतर नहीं है. जहां जेल में विचाराधीन या सजायफ्ता कैदियों को सुधार के लिए रखा जाता है, वहीं हिरासत केंद्र में रखे जाने वाले व्यक्ति दूसरे देशों से आए अवैध अप्रवासी हैं. बता दें कि भारत में डिटेंशन सेंटर को लेकर कोई अलग से दिशा-निर्देश नहीं जारी किए गए हैं. ऐसे में लंबे वक्त से डिटेंशन सेंटर के लिए भी मैनुअल तैयार किए जाने की मांग की जा रही है. प्रीम कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक डिटेंशन सेंटर में 3 साल तक रहने वाले अप्रवासियों को उसके देश वापस भेजा जा सकता है.
डिटेंशन सेंटर का खर्च
भारत में डिटेंशन सेंटर का खर्च को लेकर 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि राज्य या केंद्रशासित प्रदेश की जो प्रशासन व्यवस्था है, वह अपने जरूरत के हिसाब से डिटेंशन सेंटर बनवाती है. राज्य सरकार ही इसका खर्च उठाती है. राज्य सरकार की ओर से एक डिटेंशन सेंटर पर कितना खर्च किया जा रहा है, इसका डेटा अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है. बता दें कि केंद्र ने 2019 में असम के गोलपाड़ा में भारत के सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए राज्य सरकार को 46 करोड़ रुपए का सहयोग दिया. जानकारी के अनुसार इस सेंटर में करीब 3000 लोगों को रखा जा सकता है.
भारत में अभी अवैध अप्रवासियों की जानकारी
साल 2020 में केंद्र सरकार ने लोकसभा में जानाकरी दी थी कि लिखित तौर पर 1 लाख 10 हजार अवैध प्रवासी भारत में रह हैं. सरकार के मुताबिक यह संख्या उन लोगों की है, जो बांग्लादेश से वीजा लेकर आए थे, लेकिन बाद में वापस नहीं गए. वहीं सरकार के मुताबिक पड़ोसी देशों से बॉर्डर क्रॉस कर आने वाले अवैध प्रवासियों का डेटा इकट्ठा कर पाना आसान नहीं है.
यह भी पढ़ें: CAA Implemented: इन कागजों को दिखाकर शरणार्थियों को मिलेगी भारत की नागरिकता, जानिए कितनी देगी होगी फीस
बांग्लादेश-नेपाल के 2 करोड़ लोग चिह्नित
2024 में असम विधानसभा में मंत्री अतुल बोरा ने बताया कि राज्य में 1 लाख 59 हजार बाहरी लोगों को चिह्नित किया गया है, जिन्हें जल्द ही बाहर भेजा जाएगा. पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर से बीजेपी सांसद दिलीप घोष के मुताबिक बांग्लादेश और नेपाल के करीब 2 करोड़ लोग अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं. दिलीप घोष ने दावा किया है कि सिर्फ बंगाल में ही करीब 1 करोड़ लोग अवैध रूप से रह रहे हैं.