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Detention Center: CAA लागू होते ही चर्चा में डिटेंशन सेंटर, जेल से कैसे अलग होता है यह हिरासत केंद्र? जानिए सबकुछ

Detention Center, History Of Detention Center

असम के डिटेंशन सेंटर

History Of Detention Center: बीते सोमवार को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 लागू कर दिया है. गृह मंत्रालयल ने नोटीफिकेशन जारी कर इस बात की जानकारी दी है. गृह मंत्री अमित शाह ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर इस बाता की जानकारी दी है. CAA लागू होते से भारतीय नागरिकता से जुड़े 2 नियमों पर तुरंत असर होगा. इसमें पहला है साल 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलेगी. दूसरा अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों की पहचान कर पहले उसे डिटेंशन सेंटर और इसके बाद उसको अपने देश वापस भेज दिया जाएगा.

वर्तमान में भारत में हैं 9 डिटेंशन सेंटर

ऐसे में डिटेंशन सेंटर को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है. बता दें कि डिटेंशन सेंटर को हिरासत केंद्र भी कहा जाता है. यह एक जेल की तरह ही होता है. इस सेंटर में अवैध रूप से रह रहे लोगों को रखा जाता है. बता दें कि वर्तमान में भारत में डिटेंशन सेंटर की कुल संख्या 9 है. इनमें 6 डिटेंशन सेंटर का उपयोग किया जा रहा है.

डिटेंशन सेंटर का इतिहास

भारत में डिटेंशन सेंटर का इतिहास

भारत में डिटेंशन सेंटर का स्ट्रक्चर

जेल से अलग होता है डिटेंशन सेंटर

कैदियों को रखने के तौर-तरीके को छोड़कर भारत में जेल और हिरासत केंद्र में ज्यादा अंतर नहीं है. जहां जेल में विचाराधीन या सजायफ्ता कैदियों को सुधार के लिए रखा जाता है, वहीं हिरासत केंद्र में रखे जाने वाले व्यक्ति दूसरे देशों से आए अवैध अप्रवासी हैं. बता दें कि भारत में डिटेंशन सेंटर को लेकर कोई अलग से दिशा-निर्देश नहीं जारी किए गए हैं. ऐसे में लंबे वक्त से डिटेंशन सेंटर के लिए भी मैनुअल तैयार किए जाने की मांग की जा रही है. प्रीम कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक डिटेंशन सेंटर में 3 साल तक रहने वाले अप्रवासियों को उसके देश वापस भेजा जा सकता है.

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डिटेंशन सेंटर का खर्च

भारत में डिटेंशन सेंटर का खर्च को लेकर 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि राज्य या केंद्रशासित प्रदेश की जो प्रशासन व्यवस्था है, वह अपने जरूरत के हिसाब से डिटेंशन सेंटर बनवाती है. राज्य सरकार ही इसका खर्च उठाती है. राज्य सरकार की ओर से एक डिटेंशन सेंटर पर कितना खर्च किया जा रहा है, इसका डेटा अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है. बता दें कि केंद्र ने 2019 में असम के गोलपाड़ा में भारत के सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए राज्य सरकार को 46 करोड़ रुपए का सहयोग दिया. जानकारी के अनुसार इस सेंटर में करीब 3000 लोगों को रखा जा सकता है.

भारत में अभी अवैध अप्रवासियों की जानकारी

साल 2020 में केंद्र सरकार ने लोकसभा में जानाकरी दी थी कि लिखित तौर पर 1 लाख 10 हजार अवैध प्रवासी भारत में रह हैं. सरकार के मुताबिक यह संख्या उन लोगों की है, जो बांग्लादेश से वीजा लेकर आए थे, लेकिन बाद में वापस नहीं गए. वहीं सरकार के मुताबिक पड़ोसी देशों से बॉर्डर क्रॉस कर आने वाले अवैध प्रवासियों का डेटा इकट्ठा कर पाना आसान नहीं है.

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बांग्लादेश-नेपाल के 2 करोड़ लोग चिह्नित

2024 में असम विधानसभा में मंत्री अतुल बोरा ने बताया कि राज्य में 1 लाख 59 हजार बाहरी लोगों को चिह्नित किया गया है, जिन्हें जल्द ही बाहर भेजा जाएगा. पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर से बीजेपी सांसद दिलीप घोष के मुताबिक बांग्लादेश और नेपाल के करीब 2 करोड़ लोग अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं. दिलीप घोष ने दावा किया है कि सिर्फ बंगाल में ही करीब 1 करोड़ लोग अवैध रूप से रह रहे हैं.

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