Two Child Policy: बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में मृत पुलिसकर्मी के बेटे को अनुकंपा नियुक्ति के दावे को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि मृत पुलिसकर्मी के दो से ज्यादा बच्चे थे. जस्टिस एएस चंदूरकर और जस्टिस राजेश एस पाटिल की बेंच ने ये फैसला दिया है. याचिकाकर्ता ने महाराष्ट्र एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी थी. बॉम्बे हाईकोर्ट में ये याचिका विद्या अहिरे ने दाखिल की थी. 11 फरवरी 2013 को उनके पति की मौत हो गई थी. पति की मौत के बाद उन्होंने अपने बेटे मनीष को अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग की थी.
हालांकि, 11 जनवरी 2019 को महाराष्ट्र एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल ने उनकी मांग को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि उनके परिवार में दो से ज्यादा बच्चे थे. ट्रिब्यूनल ने फैसले में 28 मार्च 2001 को जारी गवर्नमेंट रिजॉल्यूशन का हवाला दिया था. दिसंबर 2001 में जारी गवर्नमेंट रिजॉल्यूशन में कहा गया था कि तीसरे बच्चे का जन्म होने पर परिवार के किसी भी व्यक्ति को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती.
ये भी पढ़ें- PM Modi Russia Visit: दो दिवसीय दौरे पर रूस पहुंचे पीएम मोदी, गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुआ स्वागत
याचिकाकर्ता ने फैसले को दी थी चुनौती
इस फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि 2001 में गवर्नमेंट रिजॉल्यूशन को पब्लिश नहीं किया गया था और इस कारण मृतक को इसकी जानकारी नहीं थी. इसके साथ ही, उन्होंने ये भी तर्क दिया था कि इस मामले में 2001 का रिजॉल्यूशन लागू नहीं होता, क्योंकि तीसरे बच्चे का महाराष्ट्र सिविल सर्विस (डिक्लेरेशन ऑफ स्मॉल फैमिली) रूल्स, 2005 के लागू होने से पहले 7 अगस्त 2002 को जन्म हुआ था. हाईकोर्ट ने इस मामले में ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा. हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में 2005 के सिविल रूल्स लागू नहीं होंगे, क्योंकि ये मामले 2001 के रिजॉल्यूशन से जुड़ा था.
टू-चाइल्ड पॉलिसी पर क्या हैं नियम?
महाराष्ट्र में टू-चाइल्ड पॉलिसी को लेकर कई नियम हैं. 2001 का गवर्नमेंट रिजॉल्यूशन साफ कहता है कि अगर किसी कर्मचारी के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो उसकी मौत के बाद उसके परिवार के किसी भी व्यक्ति को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जाएगी. वहीं, 2005 से लागू हुए सिविल रूल्स में प्रावधान है कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी के लिए योग्य नहीं होंगे. इन नियमों के लागू होने के बाद अगर किसी कर्मचारी का तीसरा बच्चा होता है तो उसे सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य कर दिया जाएगा. ये नियम A, B, C और D ग्रुप में भर्ती होने वाले कर्मचारियों पर लागू होते हैं. इसी तरह, महाराष्ट्र में दो से ज्यादा बच्चे होने पर स्थानीय चुनाव लड़ने से भी रोक दिया जाता है. दो से ज्यादा बच्चों वाले लोग पंचायत और जिला परिषद का चुनाव नहीं लड़ सकते.
टू-चाइल्ड पॉलिसी पर SC ने दिया था ये फैसला
इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने टू-चाइल्ड पॉलिसी पर बड़ा फैसला सुनाया था. राजस्थान सरकार के ‘दो से ज्यादा बच्चों पर सरकारी नौकरी नहीं’ वाले नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी देने से मना करना भेदभावपूर्ण नहीं है. कोर्ट ने कहा था, नियम दो से ज्यादा जीवित बच्चे होने पर उम्मीदवारों को सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य घोषित करता है और ये भेदभावपूर्ण नहीं है. कोर्ट ने साफ किया था कि इस नियम का मकसद परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है.