Economic Survey 2025: आर्थिक सर्वे में GDP ग्रोथ 6.8% रहने का अनुमान, सोशल सर्विसेज एक्सपेंडिचर में आया भारी उछाल
शुक्रवार को निर्मला सीतारमण ने सदन में वित्तीय वर्ष 2024-25 का आर्थिक सर्वे पेश किया
Economic Survey 2025: शनिवार, 01 फरवरी को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण Budget 2025 पेश करेंगी. इससे पहले आज, शुक्रवार को निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने सदन में वित्तीय वर्ष 2024-25 का आर्थिक सर्वे (Economic Survey) पेश किया. इसमें उन्होंने अगले वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी से लेकर 6.8 फीसदी के बीच रहने का अनुमान जताया है. वित्त मंत्री ने बताया कि इस बार बीते चार सालों में सबसे कम विकास दर रहने का अनुमान है.
विकसित भारत के लिए 8 फीसदी विकास दर जरूरी
वित्त मंत्री ने बताया कि बीते साल 22 जुलाई 2024 को आर्थिक सर्वे में मौजूदा चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5 फीसदी से लेकर 7 फीसदी के बीच GDP ग्रोथ रेट रहने का अनुमान जताया गया था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में देश के आर्थिक सेहत का लेखा-जोखा पेश किया है. आर्थिक सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2025-26 में GDP ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी से लेकर 6.8 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है.
इकोनॉमिक सर्वे में बताया गया है कि साल 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लिए अगले एक से दो दशक तक 8 फीसदी के दर से आर्थिक विकास करना होगा. देश की आजादी के शताब्दी वर्ष के समय तक विकसित देश बनने की अपनी आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, भारत को एक या दो दशक तक औसतन करीब 8 फीसदी GDP ग्रोथ रेट हासिल करनी पड़ेगी.
हालांकि वैश्विक हालात जिसमें राजनीतिक और आर्थिक हालात शामिल है वो भारत के आर्थिक विकास के परिणामों को प्रभावित करेगा.
शिक्षा, स्वास्थ्य में आया भारी उछाल
पेश हुए आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के मुताबिक शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के विकास के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाने में प्रगति आई है. वित्त वर्ष 2020-21 में इसपर 23.3 फीसदी खर्च किया गया था, जो 15 फीसदी सीएजीआर के साथ बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 26.2 फीसदी कर दिया गया है.
वित्त वर्ष 2024-25 में केंद्रप और राज्य सरकार का सोशल सर्विसेज एक्सपेंडिचर वित्त वर्ष 2020-21 में 14.8 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 25.7 लाख करोड़ रुपये जा चूका है. आर्थिक सर्वे 2024-25 में लेबर रिफॉर्म्स के कारण श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा की गई है, जिस कारण रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. सर्वे के मुताबिक इन सुधारों का मकसद कोजगार के अवसर को बढ़ावा देने के साथ इकोनॉमिक समावेशिता को बढ़ावा देना और इज ऑफ डूंइंग बिजनेस के साथ वर्कफोर्स के हिसों की रक्षा करना है.
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युवाओं का बिगाड़ा मेंटल हेल्थ
इकोमॉनिक सर्वे में यह भी बताया गया है कि सोशल मीडिया का युवाओं पर क्या असर पड़ा है. इकोमॉनिक सर्वे के मुताबिक युवाओं के मेंटल हेल्थ ही भविष्य में अर्थव्यवस्था को गति देगा. लाइफस्टाइल च्वाइस, वर्कप्लेस कल्चर, और परिवार के हालात प्रोडक्टिविटी के लिए बेहद मायने रखते हैं. सोशल मीडिया पर खाली समय व्यतीत करना, व्यायाम नहीं करना और परिवार के साथ पर्याप्त समय नहीं नहीं बीतने के कारण युवाओं का मेंटल हेल्थ प्रभावित हुआ है.