Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने बीते 12 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी भारत निर्वाचन आयोग को उपलब्ध करा दी थी. जिसके बाद निर्वाचन आयोग द्वारा गुरुवार की शाम को इसी जानकारी अपने आधिकारिक वेबसाइट पर साझा की गई है. आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा चंदा बीजेपी को मिला है. हालांकि इस लिस्ट पर नजर डालें तो देश की क्षेत्रीय पार्टियां सूची में चंदा पाने के मामले में काफी पीछे हैं.
चंदा प्राप्त करने वाले दलों की बात करें तो उत्तर प्रदेश और बिहार की पार्टियां काफी पीछे हैं. राजनीतिक लिहाज से अहम माने जाने वाले इन दोनों ही राज्यों से मिलकर केवल एक क्षेत्रीय दल इस चंदा प्राप्त करने वालों के टॉप टेन की लिस्ट में शामिल हैं. बिहार की एक मात्र पार्टी आरजेडी इस लिस्ट में केवल टॉप टेन में शामिल हैं. लिस्ट में टॉप पर बीजेपी है जिसे सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपए से ज्यादा चंदा मिला है.
किसे कितना मिला चंदा
बीजेपी के बाद दूसरे नंबर पर टीएमसी है जिसे 1,609 करोड़ रुपए से ज्यादा चंदा मिला है. वहीं कांग्रेस चंदा प्राप्त करने वालों की सूची में तीसरे नंबर पर है, पार्टी को चंदा के तौर पर 1,421 करोड़ रुपए से ज्यादा मिला है. इसके बाद क्रम से बीआरएस, बीजेडी, डीएमके, वाईआरएस कांग्रेस, टीडीपी, शिवसेना (पॉलिटिकल पार्टी) और आरजेडी है. यानी लिस्ट में आरजेडी एक मात्र यूपी और बिहार की पार्टी है जो दसवें नंबर पर है.
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आरजेडी को चुनाव बॉन्ड योजना के तहत को 725 करोड़ का चंदा मिला है. जबकि बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू इस लिस्ट में 17वें नबर पर है. जिसे 14 करोड़ रुपए से ज्यादा चंदा मिला है. इसके अलावा अखिलेश यादव की पार्टी सपा को इलेक्टोरल बॉन्ड के तहत 21 करोड़ का चंदा मिला है. उसका नाम लिस्ट में सपा का जिक्र 46 बार किया गया है.
वहीं बीएसपी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा नहीं मिला है. बता दें कि एसबीआई ने इसकी जानकारी भारत निर्वाचन आयोग को डिजिटल कॉपी के रुप में दी है. इस जानकारी का दो डाला शेयर किया गया है पहले भाग में बताया गया है कि किस कंपनी ने इस योजना के अंतर्गत पैसा दिया है. जबकि दूसरे भाग में बताया गया है कि किस पार्टी को कितना चंदा दिया गया है.