नकली आधार कार्ड, छेड़छाड़ के आरोप और हंगामा…अब इटावा से दोनों ‘कथावाचक’ गायब!

इटावा कथावाचक
Etawah Kathavachak: इटावा में हुई एक भागवत कथा के दौरान जाति पूछने पर दो कथावाचक मुकुट मणि और संत यादव की पिटाई का मामला अब और भी उलझ गया है. ये दोनों कथावाचक अपने घर से ‘लापता’ हो गए हैं. जब जांच टीम उनके घर पहुंची, तो वहां ताले लटके मिले और उनके मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ आ रहे थे. पड़ोसियों ने बताया कि घटना के बाद से ही पूरा परिवार गायब है.
यह मामला, जिसमें पिटाई, चोटी काटने और पेशाब छिड़कने के आरोप शामिल हैं, अब झांसी पुलिस को सौंप दिया गया है. उन्हें 90 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. झांसी के एसएसपी बीबीजीटीएस मूर्ति ने पूंछ थाना प्रभारी जेपी पाल को जांच टीम का मुखिया बनाया है. यह टीम इटावा पहुंची थी और उन्होंने घटनास्थल, कार्यक्रम स्थल और गांव का मुआयना किया. उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत करके उनके बयान भी दर्ज किए. जब टीम कथावाचकों के बताए पते पर अछल्दा गांव पहुंची, तो उनके घरों पर ताला लगा मिला और फोन भी बंद आ रहे थे.
दो-दो आधार कार्ड और ब्राह्मण बनने का ‘नाटक’!
इस मामले में एक नया खुलासा हुआ है. इन कथावाचकों के पास दो-दो आधार कार्ड मिले हैं. दोनों आधार कार्ड का नंबर एक ही था और उन पर एक ही व्यक्ति की फोटो लगी थी, लेकिन नाम अलग-अलग थे. पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है. ब्राह्मण समाज महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण दुबे ने आरोप लगाया है कि ये दोनों फर्जी आधार कार्ड बनवाकर खुद को ब्राह्मण बताकर लोगों को गुमराह कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इन लोगों ने खुद को ब्राह्मण बताया और कथावाचक बन गए, लेकिन जब सच्चाई सामने आई, तो यह घटना हुई.
महिला ने लगाया छेड़छाड़ का आरोप!
पीड़ित महिला ने बताया कि ये कथावाचक उनके घर कथा कहने आए थे. पहले दिन की कथा खत्म होने के बाद जब वे खाना खिला रहे थे, तभी एक कथावाचक ने उनकी उंगली पकड़कर उनके साथ बदतमीजी और छेड़छाड़ की. उन्होंने तुरंत अपने पति को बताया, जिससे वहां मौजूद लड़के गुस्से में आ गए. उन्होंने पुलिस अधिकारी से इसकी शिकायत की है और कहा कि ये लोग फर्जी तरीके से ब्राह्मण बनकर आए थे और इनके आधार कार्ड भी नकली थे.
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आखिर क्या है पूरा मामला?
मुख्य कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके सहायक संत कुमार यादव इटावा के एक गांव में कथा कहने गए थे. उनका कहना है कि पहले दिन की कथा के बाद ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने उनसे उनकी जाति पूछी. जब उन्होंने खुद को यादव समाज का बताया, तो उन लोगों ने उन्हें बंधक बनाकर पीट दिया. उन पर फर्जी कथावाचक होने का आरोप लगाया गया. आरोप है कि भीड़ ने कथावाचक के सहायक की चोटी और बाल काट दिए, जिसका वीडियो भी वायरल हुआ है. एक महिला को जबरन उनके पैर छुआने और नाक रगड़ने पर मजबूर किया गया. उन्हें पेशाब छिड़कने के बाद छोड़ा गया. पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. हालांकि, बाद में आरोपी महिला ने भी कथावाचकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है.
मामले में सियासी ‘तड़का’!
इस घटना के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कथावाचकों को पार्टी कार्यालय में सम्मानित किया और उनकी आर्थिक मदद भी की. उन्हें तुरंत 11-11 हजार रुपये दिए गए और कहा गया कि बाद में 51-51 हजार दिए जाएंगे. उस समय अखिलेश यादव ने कहा था कि भागवत कथा सबके लिए है. जब कथा सब सुन सकते हैं, तो सब बोल क्यों नहीं सकते? अखिलेश ने कहा था कि पहले अगर पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) का कोई व्यक्ति मंदिर चला जाए, तो ये लोग उसे गंगाजल से धोते थे, और अब सरेआम लोगों का मुंडन करवा रहे हैं.