Vistaar NEWS

Exit Poll 2024: बंगाल में कैसे हो गया ‘खेला’, किन वजहों से बीजेपी को मिल रही है बढ़त?

Exit Poll 2024

पीएम मोदी और ममता बनर्जी ( फाइल फोटो)

Exit Poll 2024: शनिवार को आखिरी चरण की वोटिंग के साथ ही लोकसभा चुनाव 2024 का शोर थम गया है. इसके बाद शाम को तमाम मीडिया ऑउटलेट्स ने एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए. इन सभी एग्जिट पोल में बंगाल में बीजेपी की जबरदस्त बढ़त दिखाई गई. इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल ने पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को करारी हार का अनुमान लगाया है. एग्जिट पोल के अनुसार, भाजपा को कुल 42 में से 26-31 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी को लगभग 11-14 सीटें मिलने की संभावना है. कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक को केवल दो सीटें मिलने की संभावना है.

एग्जिट पोल में बंगाल में बढ़ा बीजेपी का वोट शेयर!

इतना ही नहीं एग्जिट पोल के नतीजे में बताया गया है कि बंगाल में बीजेपी का वोट शेयर भी बढ़ा है. अनुमान के मुताबिक, इस बार बीजेपी राज्य में 46 प्रतिशत हो जाएगा. अगर एग्जिट पोल के आंकड़ों पर विश्वास किया जाए, तो भाजपा के बढ़े हुए वोट शेयर से पता चलता है कि भगवा पार्टी टीएमसी के दक्षिण बंगाल के किले को भेदने में कामयाब होगी. पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटों के लिए मतदान सभी सात चरणों में हुआ और मतगणना 4 जून को होगी. 2019 के लोकसभा चुनाव एग्जिट पोल में अधिकांश एजेंसियों ने तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद जताई थी, लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने 42 में से 22 सीटें जीतीं. भाजपा को 18 सीटें मिलीं और अन्य दल बहुत पीछे रह गए.

किन वजहों से भाजपा को बंगाल में मिल रही बढ़त?

बता दें कि पश्चिम बंगाल में लंबे समय से हिंदू मतदाता, चाहे वो स्थानीय बंगाली मतदाता हों या फिर किसी दूसरे राज्य का. उनमें ‘दीदी’ के प्रति नाराजगी देखी गई है. पश्चिम बंगाल के हिंदू मतदाताओं के तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर डले पड़े हैं, जहां लोगों का यह कहना है कि ममता बनर्जी की सरकार किसी एक धर्म के लोगों को आगे बढ़ाने और हिंदुओं को दबाने में लगी हुई है. पूर्व में बंगाल में ऐसी कई घटनाएं भी देखने को मिल चुकी है.

संदेशखाली का मुद्दा

संदेशखाली के मुद्दे पर भी बीजेपी को राज्य में बढ़त मिली है. इस मुद्दे को बीजेपी ने जोर-शोर से उठाया. संदेशखाली में महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न मामले पर भाजपा ने टीएमसी को खूब घेरा. आरोपी शाहजहां शेख का संबंध टीएमसी से निकला, लेकिन उसकी गिरफ्तारी में देरी ने राज्य सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए.

भाजपा अगर आज बंगाल में खेला कर रही है तो इसमें एक अहम ध्रुवीकरण की राजनीति का. दरअसल बंगाल में पिछली सरकारों के ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो पता चलता है कि बंगाल में चुनाव जीतना है तो हिंसा तो करना होता है. बंगाल में चुनाव से पहले, चुनाव के बाद हमेशा हिंसा होती रहती है. हिंदू-मुस्लिम दंगे होते हैं. राजनीतिक दलों द्वारा इसका लाभ लिया जाता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि बंगाल सरकार मुसलमानों को बढ़ावा देती है. साथ ही हिंदुओं के साथ भेदभाव होता है. राम नवमी के अवसर पर शोभा यात्रा पर पत्थरबाजी होती है और ममता सरकार की चुप्पी उनकी नीयत पर सवाल खड़े करती है. यही वजह है कि ममता बनर्जी के खिलाफ लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है.

यह भी पढ़ें: ‘AAP के वॉलंटियर रह चुके हैं ध्रुव राठी’, स्वाति मालीवाल ने यूट्यूबर को बताया टॉप लीडरशीप का करीबी

राम मंदिर का असर

बता दें कि राम मंदिर निर्माण का असर भी बंगाली हिंदू वोटर्स में देखने को मिला. इस साल बंगाल में और भी अधिक भव्य तरीके से रामनवमी का जगह-जगह आयोजन किया गया. राम मंदिर से भाजपा के प्रत्यक्ष जुड़ाव के कारण बंगाल में भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार हुआ.

पीएम मोदी का शानदार नेतृत्व

पीएम मोदी हों या अमित शाह. लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने बंगाल में कई रैलियां कीं. वहीं बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद भाजपा ने बंगाल में और भी आक्रामक ढंग से काम करना शुरू किया, जिसका परिणाम हुआ कि आज भाजपा बंगाल में बढ़त बनाती दिख रही है.

Exit mobile version