NEET UG 2024: देश में परीक्षा धांधली का मामला चरम पर है. पहले नीट परीक्षा में पेपर लीक का मामला सामने आया. उसके बाद UGC-NET एग्जाम लेने के एक दिन बाद ही इसे रद्द भी कर दिया गया. देश भर के छात्रों में इस बात को लेकर गुस्सा है. एनटीए की इस लापरवाही पर छात्रों ने जमकर हंगामा भी किया है. छात्रों का कहना है कि एक परीक्षा में बैठने के लिए कई महीने की मेहनत लगती है. तमामल मेहनत के बाद जब परीक्षा दे देते हैं तो फिर धांधली का पर्दाफाश हो जाता है. आज इस वीडियो में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी NTA की पूरी कहानी जानेंगे. 7 साल पहले बनाई गई ये केंद्रीय एजेंसी कैसे एक फेल मॉडल है, जिसकी कीमत लाखों स्टूडेंट्स भुगत रहे हैं.
साल 2017 में हुआ था NTA का गठन
देश में ज्यादा तर परीक्षा एनटीए यानी की नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ही कराता है. इसके गठन का प्रस्ताव साल 2017 के कैबिनेट में पारित हुआ था. जिसके बाद इसकी स्थापना मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा की गई. एनटीए का मुख्य काम विभिन्न सरकारी संस्थानों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षाएं आयोजित करना है. साथ ही इन परीक्षाओं में पारदर्शिता रखने की भी जिम्मेदारी एजेंसी की ही है. लेकिन हाल के सालों में यह एजेंसी ऐसा करने में नाकामयाब रही है. पहले नीट का पेपर लीक और अब नेट की परीक्षा को रद्द किए जाने को लेकर यह एजेंसी सवालों के घेरे में है.
इस एजेंसी के चेयरमैन प्रो. प्रदीप कुमार जोशी हैं. इससे पहले इन्होंने यूपीएससी की अध्यक्ष पद भी संभाली है. वहीं आईएएस सुबोध कुमार सिंह इसके महानिदेशक हैं. इसके अलावा कई संस्थानों के निदेशक और कुछ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एजेंसी के गवर्निंग बॉडी है. इसके अलावा एजेंसी के लिए रिसर्चर, असेसमेंट डेवलपर, एजुकेशन एडमिनिस्ट्रेटिव और एक्सपर्ट्स की टीम भी काम करती है. फिर भी छात्रों को इस एजेंसी से निराश ही होना पड़ता है.
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कई तरह के एंट्रेंस एग्जाम ऑर्गनाइज कराती है NTA
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी देश में कई तरह के एंट्रेंस एग्जाम ऑर्गनाइज कराती है. जिसमें कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET), ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन मेन्स (JEE), NEET UG, NEET PG, UGC-NET, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी एंट्रेंस एग्जाम, जॉइंट इंटीग्रेटेड प्रोग्रम इन मैनेजमेंट एडमिशन टेस्ट समेत कई एंट्रेंस एग्जाम शामिल है.
बता दें कि परीक्षा से पहले एनटीए द्वारा पेपर तैयार करने के लिए कई स्टेपस लिए जाते हैं. जिसमें सबसे पहले परीक्षा होने वाले सब्जेक्ट के एक्सपर्ट सवाल तैयार करते हैं. जिसके बाद इसकी जांच टेस्ट डवलपमेंट कमेटी द्वारा की जाती है. इसके बाद कुछ सवालों को हटाकर और कुछ को जोड़कर असेंबल किया जाता है. जिसके बाद पूरी टीम के निर्णय के बाद पेपर फाइनल किया जाता है.
अब सवाल यह उठता है कि जब एनटीए द्वारा इतनी सावधानी बरती जाती है फिर भी एजेंसी पर कई बार फेल क्यों हो जाती है. जिसका जवाब आउटसोर्सिंग मानी जा सकती है . इसका मतलब एनटीए का पूरा काम टेंडर व्यवस्था पर चलता है. जिसका मतलब है परीक्षा केंद्र और वहां मौजूद होने वाले स्टाफ, टेक्निकल सपोर्ट ग्रुप, ऑफिस असिस्टेंट, सीनियर असिस्टेंट, कंसल्टेंट, जूनियर कंसल्टेंट एडवाइडर, डेटा एनालिस्ट से लेकर कंप्यूटर, सीसीटीवी और क्यूआर कोड सोल्यूशन की हायरिंग भी आउट सोर्स के जरिए की जाती है. जिसके कारण पूरा परीक्षा व्यवस्था सवाल के घेर में आ जाता है. इसके अलावा हाल के सालों में NTA ने एग्जाम प्रोसेस में 5 बड़े बदलाव किए हैं.
पहला ऑनलाइन मोड में एग्जाम
NTA ने NEET को छोड़कर लगभग सभी एग्जाम ऑनलाइन कंप्यूटर बेस्ड मोड में करवाने शुरू किए. NTA की वेबसाइट के मुताबिक, ऑनलाइन एग्जाम से क्वेश्चन पेपर लीक होने और OMR शीट भरने में गड़बड़ी जैसी चीजों की संभावना खत्म हो जाएगी.
दूसरा साल में दो या ज्यादा बार एक ही एग्जाम
किसी एग्जाम के अलग-अलग सेशंस में बैठने वाले स्टूडेंट्स को जिस सेशन में ज्यादा मार्क्स मिलेंगे, उसे ही फाइनल स्कोर माना जाएगा. NTA का तर्क है कि इससे स्टूडेंट्स को ज्यादा मौके मिलेंगे और उनका साल बचेगा.
कुल सवाल और टोटल मार्क्स में बदलाव
NTA के आने के बाद JEE जैसे बड़े एग्जाम के मार्किंग पैटर्न में बदलाव किए गए. 2018 तक, JEE मेन्स का एग्जाम CBSE द्वारा होता था, तब पेपर कुल 90 सवालों और 360 अंकों का था. 2020 में NTA के हाथों में आने के बाद JEE का मेंस का पेपर 300 अंकों का हुआ और इसमें कुल सवाल घटाकर 75 कर दिए गए. हालांकि बाद में यह बदलाव हटा लिए गए.
मेरिट और रैंक तय करने के लिए परसेंटाइल मेथड
JEE मेंस और NEET में नॉर्मलाइज्ड स्कोर, परसेंटाइल होता है न कि स्टूडेंट को मिले मार्क्स. यानी किसी भी एग्जाम में किसी भी सेशन में एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स को NTA द्वारा उनके परसेंटाइल के आधार पर रैंक मिलती है. इसी रैंक के आधार पर उनका चयन होता है. स्टूडेंट्स का परसेंटाइल उनके सेशन के बाकी स्टूडेंट्स के मार्क्स और सेशन में कुल स्टूडेंट्स की संख्या के आधार पर तय होता है. यह एक जटिल प्रक्रिया है.
सिलेबस और मार्किंग सिस्टम में बदलाव
NTA के आने के बाद NEET और JEE जैसे एग्जाम में सिलेबस कम हुआ और मार्किंग सिस्टम में भी बदलाव हुआ है. इसके चलते न सिर्फ टॉप स्कोर लाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ती गई, बल्कि JEE मेंस और NEET का कट-ऑफ बढ़ता गया.
आइये एनटीए पर संदेश की जो वजहे हैं उस पर भी गौर कर लेते हैं. हरियाणा के झज्जर में गलत पेपर सेट दिया गया, एक ही सेंटर से 8 टॉपर भी निकलकर सामने आ गए. ग्रेस मार्क्स पर सवाल खड़ा हुआ तो NTA ने यू टर्न ले लिया. वहीं परसेंटाइल सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ी का भी आरोप लगा है. स्कोर कार्ड, रैंकिंग पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं. बिहार में आरोपी ने पेपर लीक की बात मान ली है. एक बात ये भी है कि चुनाव नतीजे के दिन ही नीट के परिणाम सामने आए हैं. इसको लेकर भी NAT संदेह के घेरे में है.