Chhattisgarh News: देश का सबसे खतरनाक नक्सली हिड़मा जिस पुवर्ती गांव से आता है, उस पुवर्ती गांव को चार दशकों से भी अधिक वक्त तक नक्सलियों की राजधानी कहा गया. जिस पुवर्ती गांव में घुसने से पहले नक्सलियों की इजाजत लेनी पड़ती थी आज उसी पुवर्ती गांव में ना सिर्फ फोर्स दाखिल हो चुकी है, बल्कि यहां अपना एक मजबूत कैंप भी स्थापित कर लिया है. नक्सलियों के गढ़ में अब 1500 से अधिक जवानों की तैनाती कर दी गई है. इसके साथ ही पहली बार देश के सबसे खूंखार नक्सली हिड़मा के घर और परिवार की तस्वीर भी सामने आई है. तस्वीर में दिख रहे एक कमरे के इस छोटे से कच्चे मकान में ही हिड़मा का बचपन बीता है. युवावस्था में ही नक्सल संगठन में शामिल हो चुका हिड़मा पिछले 15 सालों में बस्तर में हुई हर बड़े नक्सली हमले का मास्टरमाइंड रहा है.
हिड़मा के मां की तस्वीर आई सामने
फोर्स ने हिड़मा के गांव और नक्सलियों की राजधानी में 16 फरवरी को कैंप स्थापित किया. इसके बाद सुकमा जिले के एसपी किरण चव्हाण ने हिड़मा के मां से मुलाकात की. बताते चलें कि सुरक्षा बल के जवान पहली बार हिड़मा के गांव पहुंचे हैं. इसके साथ ही पहली बार नक्सली हिड़मा के मां की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर आई है. यह सुरक्षा बलों के लिए अबतक की सबसे बड़ी उपलब्धि है.
कई हमलों का षड्यंत्रकारी है हिड़मा
छत्तीसगढ़ में सैकड़ों जवानों के शहादत और कई हमलों का षड्यंत्रकारी हिड़मा ही है. उसपर अलग अलग राज्यों में मिलाकर 1 करोड़ रुपए से अधिक का इनाम घोषित किया गया है. हिड़मा इतना खतरनाक माना जाता है कि उसके गांव के आस-पास आज तक फोर्स नहीं पहुंची थी. कई बार कोशिश किया गया लेकिन इसमें जवानों को नुकसान उठाना पड़ा लेकिन इस बार फोर्स को बड़ी सफलता मिली है. बता दें कि पुवर्ती गांव से 100 से अधिक युवा नक्सल संगठन में शामिल हुए हैं.
हिड़मा की मां से मिले जिले के एसपी किरण चव्हाण
हिड़मा की मां से सुकमा जिले की एसपी किरण चव्हाण ने मुलाकात की है. हिड़मा का घर भी बाकी आदिवासियों की तरह मिट्टी का ही है. एक कमरे के घर में हिड़मा का परिवार रहता है. वहीं गांव में खेती-किसानी होती है और वहां पर कई सरकारी सुविधाएं भी नहीं है. इसके अलावा यह गांव नक्सलियों के PLGA बटालियन क्रमांक 1 के कमांडर बारसे देवा का भी है. हाल में टेकलगुड़ा नक्सली मुठभेड़ का मास्टरमाइंड देवा ही था. देवा पर पुलिस ने 10 लाख रुपए का इनाम घोषित किया है. बता दें कि यह जगह जिला मुख्यालय सुकमा से लगभग 120 किमी दूर है.
सरकार बदलने के बाद बदला फोर्स का एक्शन
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद नक्सल विरोधी अभियान तेज हुआ है. पुलिस फोर्स पिछले एक महीने से हिड़मा के गढ़ को ढहाने की कोशिश में लगी थी. 31 जनवरी को पुलिस बल और नक्सलियों के बीच टेकलगुड़ा में मुठभेड़ हुई. इसमें 3 जवान शहीद हुए लेकिन फोर्स को नक्सली के घर के करीब पहुंचने में सफलता मिल गई. नक्सलियों को उनके घर से खदेड़ दिया गया. इसके बाद 16 फरवरी को फोर्स ने हिड़मा के गांव पुवर्ति में कैंप की स्थापना कर दी. इससे यह कहना गलत नहीं होगा कि हिड़मा का खौफ अब कम हो गया है.
यह भी पढ़ें: Chhattisgarh News: गन्ना किसानों ने कराया 30 हजार से ज्यादा बोरवेल, हर साल गिरता जा रहा जल स्तर
इन बड़े नक्सली हमले का है मास्टरमाइंड
हिड़मा ने 6 अप्रैल 2010 तालमेटाला में सुरक्षाकर्मियों के कैंप पर हमला किया. इसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे. यह देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला है. इसके बाद बस्तर की झीरम घाटी में 25 मई 2013 को कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला किया. इसमें कांग्रेस के 30 नेता और कार्यकर्ताओं की मौत हो गई. इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, बस्तर टाइटर के नाम से लोकप्रिय महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार, युवा नेता दिनेश पटेल, योगेंद्र शर्मा जैसे बड़े नेताओं की नक्सली हमले में मौत हो गई. वहीं बीजापुर में 3 अप्रैल 2021 को सुरक्षाबल और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हुए.
40 साल से बस्तर में है नक्सलियों का आतंक
आपको बता दें की बस्तर में करीब 4 दशकों से नक्सलियों ने अपना कब्जा जमाया है. इस बीच सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हजारों बार मुठभेड़ हो चुकी है. हजारों जवान शहीद हो चुके हैं. इसी तरह ग्रामीणों की भी हत्या का सिलसिला बस्तर में जारी है. हालांकि सीआरपीएफ की कैंप के चलते नक्सलियों की दहशत पहले से कुछ कम हुई है, क्योंकि बस्तर में चप्पे-चप्पे पर अब सुरक्षा बल तैनात रहते हैं. बता दें कि घने जंगल वाला बस्तर जहां आदिवासी रहते है. नक्सली उसे विकास से मिलों दूर धकेल रहे है. यह समस्या दशकों से चली आ रही है.