Foreign Minister S Jaishankar: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर एक कार्यक्रम के दौरान पूछे गए सवाल का मजाकिया जवाब देकर चर्चा में आ गए हैं. सोशल मीडिया पर यह जवाब तेजी से वायरल हो रहा है. उनसे पूछा गया था कि अगर उन्हें उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग उन और हंगरी-अमेरिका के कारोबारी जॉर्ज सोरोस में से किसी एक के साथ डिनर करना हो, तो वह किसे चुनेंगे? इस पर जयशंकर ने बेहद चतुराई से कहा, “अभी नवरात्रि चल रही है, इसलिए मैं उपवास करना पसंद करूंगा.”
न्यूज़ एजेंसी एएनआई से जयशंकर बातचीत कर रहे थे. तभी पत्रकार ने दो विकल्प देते हुए कहा, “आपको किसी एक के साथ डिनर करना होगा. किम जोंग उन या जॉर्ज सोरोस?” जयशंकर ने अपने खास अंदाज में जवाब दिया, “मुझे लगता है नवरात्रि चल रही है, इसलिए मैं उपवास करूंगा.” यह सुनते ही वहां मौजूद सभी दर्शक हंस पड़े और यह बयान देखते ही देखते इंटरनेट पर छा गया.
ये भी पढ़ें- ‘जाति-भाषा को छोड़कर एकजुट हो हिंदू’, RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान
जयशंकर की कूटनीतिक समझ की झलक
जयशंकर सिर्फ मजाकिया जवाब ही नहीं देते, बल्कि वैश्विक मंच पर कठिन सवालों का भी सटीक जवाब देने के लिए जाने जाते हैं. यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान भारत ने जब रूस से तेल आयात किए तो पश्चिमी देशों ने आपत्ति जताई थी, तब भी जयशंकर ने बड़े ही तगड़े अंदाज में आलोचनाओं का जवाब दिया था.
जॉर्ज सोरोस और पीएम मोदी
जॉर्ज सोरोस ने कई बार भारत के लोकतंत्र और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व पर सवाल खड़े किए हैं. जयशंकर ने सोरोस के बयान ‘बेतुका’ और ‘डराने वाला’ करार दिया था. उनका कहना था कि इस तरह की टिप्पणियां सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाती हैं.
पाकिस्तान यात्रा पर जयशंकर की दो टूक
विदेश मंत्री एस जयशंकर 15-16 अक्टूबर को पाकिस्तान में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेंगे. यह 9 साल में पहली बार होगा जब कोई भारतीय विदेश मंत्री पाकिस्तान की यात्रा करेगा. हालांकि, जयशंकर ने साफ कर दिया है कि वह इस यात्रा के दौरान भारत-पाक संबंधों पर कोई चर्चा नहीं करेंगे. उनका कहना है कि यह यात्रा सिर्फ एक बहुपक्षीय कार्यक्रम के लिए होगी और वह भारत-पाक रिश्ते सुधारने के मकसद से इस्लामाबाद नहीं जा रहे हैं.
भारत-पाक रिश्ते अब भी तनावपूर्ण
भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे को लेकर रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण बने हुए हैं. जयशंकर ने साफ कहा है कि उनकी यह यात्रा केवल शंघाई सहयोग संगठन की बैठक तक सीमित रहेगी और इसमें द्विपक्षीय चर्चा की कोई संभावना नहीं है. जयशंकर की इस दो टूक बयानबाजी और मजाकिया अंदाज ने एक बार फिर साबित किया है कि वह न सिर्फ कूटनीतिक मामलों में माहिर हैं, बल्कि हल्के-फुल्के अंदाज में भी सटीक जवाब देने में माहिर हैं.