Ganesh Puja: पीएम मोदी का हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के घर गणेश पूजा में शामिल होना एक ऐसा मुद्दा बन गया है जिसने राजनीतिक गलियारों में गहमा-गहमी मचा दी है. गणेश चतुर्थी का ये उत्सव, जो आमतौर पर भक्तों के लिए खुशियों का संदेश लेकर आता है, इस बार राजनीति का रंग भी ले आया है. जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी की पूजा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आईं, विपक्षी दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. यह मामला न केवल राजनीति के गलियारों में बल्कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच के रिश्तों में भी एक नया मोड़ लेकर आया है. चलिए, इस पूरे विवाद के तार खंगालते हैं और समझते हैं कि गणेश पूजा के इस सियासी रंग के पीछे क्या है?
राजनीति का ‘गणेश पूजा’
प्रधानमंत्री मोदी का CJI के घर गणेश पूजा में शामिल होना एक साधारण धार्मिक आयोजन था, लेकिन यह आयोजन अचानक राजनीति का हॉट टॉपिक बन गया. विपक्षी दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री और CJI का एक साथ पूजा में शामिल होना, न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच की दूरी को मिटा देता है. इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर खतरा मंडरा सकता है.
गणेश चतुर्थी या राजनीतिक चकाचौंध?
भाजपा ने इस मुद्दे पर पलटवार करते हुए कहा कि गणेश पूजा में शामिल होना कोई अपराध नहीं है. भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोशल मीडिया पर कुछ पुराने फोटो शेयर किए. इनमें 2009 की इफ्तार पार्टी की तस्वीरें शामिल थीं, जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और CJI केजी बालकृष्णन एक साथ शामिल हुए थे. शहजाद ने तंज करते हुए कहा, “2009 में इफ्तार पार्टी पर किसी ने सवाल नहीं उठाए थे, तो अब गणेश पूजा पर क्यों उठ रहे हैं?”
प्रधानमंत्री मोदी ने खुद ही गणेश पूजा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं. उन्होंने लिखा, “सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जी के आवास पर गणेश पूजा में शामिल हुआ. भगवान श्री गणेश हम सभी को सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद दें.” पीएम मोदी ने इसे एक साधारण धार्मिक कार्यक्रम बताया और किसी भी राजनीतिक विवाद को सीधे नकार दिया.
— Shehzad Jai Hind (Modi Ka Parivar) (@Shehzad_Ind) September 12, 2024
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इफ्तार पार्टी की यादें
बीजेपी ने इस मुद्दे पर विपक्ष को अपने तरीके से जवाब दिया है. बीजेपी ने जिस इफ्तार पार्टी के बारे में कहा है, उसमें कई बड़े नेताओं के साथ-साथ तत्कालीन CJI भी शामिल हुए थे. इंडिया टुडे की उन तस्वीरों में CJI और मनमोहन सिंह के बीच गपशप करते हुए दिखाया गया था. भाजपा ने कहा, “अगर उस समय किसी ने सवाल नहीं उठाए, तो अब क्यों?”
विपक्ष का कहना है कि यह आयोजन न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में डाल सकता है, जबकि भाजपा का कहना है कि यह सब एक साधारण धार्मिक परंपरा है. भाजपा का कहना है कि विपक्ष इस मुद्दे को हवा देकर राजनीतिक फायदा उठाना चाहता है. यह कोई नई बात नहीं है, जब भी संस्थाओं के प्रमुखों के बीच कोई मेल-मिलाप होता है, इसे किसी न किसी रूप में तूल दे दिया जाता है.
इस पूरे मामले में विपक्ष ने जैसे ही ‘गणेश पूजा’ शब्द सुना, राजनीति की सतरंगी दुनिया में हंगामा शुरू हो गया. विपक्ष का कहना है कि हिंदू त्योहारों को लेकर पीएम मोदी अक्सर तैयार रहते हैं, जबकि इफ्तार जैसी दूसरी धार्मिक गतिविधियों को लेकर वे चुप्पी साधे रहते हैं. इससे साफ है कि राजनीति और धर्म के मेल से जुड़े मुद्दों पर कितनी चटपट प्रतिक्रिया होती है. गणेश पूजा पर इस सियासी ड्रामे ने दिखा दिया कि राजनीति में हर चीज को एक नई दिशा दी जा सकती है.