कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है. गृह मंत्रालय के नए आदेश के अनुसार, अब सभी राज्यों को अपने कानून व्यवस्था की जानकारी गृह मंत्रालय को हर 2 घंटे पर देनी होगी. राज्यों में बढ़ रहे अपराध को देखते हुए गृह मंत्रालय ने यह फैसला लिया है और सभी राज्यों को आदेश जारी किए हैं.
राज्य पुलिस बलों को भेजे गए संदेश में कहा गया है कि विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर सभी राज्यों की कानून व्यवस्था की स्थिति पर नजर रखी जानी चाहिए. गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में सभी राज्यों को कानून व्यवस्था की रिपोर्ट हर 2 घंटे में ईमेल, फैक्स या व्हाट्सएप के माध्यम से केंद्र को भेजनी होगी.
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शुक्रवार को भेजे गए संदेश में कहा गया है, “कृपया इस संबंध में लगातार दो घंटे की कानून व्यवस्था की स्थिति रिपोर्ट आज शाम 4 बजे से फैक्स/ईमेल/व्हाट्सएप के जरिए गृह मंत्रालय नियंत्रण कक्ष (नई दिल्ली) को भेजी जाए.”
आपको बता दें कि देश के विभिन्न हिस्सों में डॉक्टर और अन्य चिकित्सा कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं. प्रदर्शनकारी स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा की जांच के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने, अन्य मांगों के अलावा अनिवार्य सुरक्षा अधिकारों के साथ अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करने पर जोर दे रहे हैं.
IMA ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
दरअसल, नौ अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या की घटना ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया है. डॉक्टरों लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. कोलकाता की इस घटना के विरोध में शनिवार को आईएमए के आह्वान पर देशभर के डॉक्टरों ने 24 घंटे की हड़ताल की थी.
अपने 24 घंटे के विरोध प्रदर्शन के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है. IMA ने कहा कि ‘महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थानों की कमी के कारण बड़े पैमाने पर अपराध हो रहे हैं. सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमी की वजह से गुंडागर्दी होती है. इस अपराध और बर्बरता ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया है. देशभर के डॉक्टरों ने आज सिर्फ इमरजेंसी में ही सेवाएं प्रदान की हैं.’
IMA की मुख्य मांगे
- महामारी रोग अधिनियम 1897 में 2020 के संशोधनों के (हेल्थकेयर पर्सनल और क्लीनिकल संस्थाओं में हिंसा और प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने का निषेध विधेयक-2019) मसौदे में शामिल कर केंद्रीय अधिनियम बने. यह 25 राज्यों को मजबूती प्रदान करेगा.
- सभी अस्पतालों के सिक्योरिटी प्रोटोकॉल किसी एयरपोर्ट से कम नहीं होने चाहिए. अनिवार्य सुरक्षा अधिकारों के साथ अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करना चाहिए. अस्पतालों में सीसीटीवी, सुरक्षा कर्मियों की तैनाती और प्रोटोकॉल का पालन किया जाए.
- पीड़िता 36 घंटे की ड्यूटी शिफ्ट कर रही थी, लिहाजा आराम करने के लिए सुरक्षित स्थानों के साथ ही रेस्ट रूम्स की कमी के कारण रेजिडेंट डॉक्टरों के काम करने और रहने की स्थिति में व्यापक बदलाव की जरूरत है.
- निश्चित समयसीमा के अंदर किसी अपराध की सावधानीपूर्वक और पेशेवर जांच हो, और न्याय मिले.
- शोकाकुल परिवार को उचित और सम्मानजनक मुआवजा दिया जाए.