Gyanvapi Case: बीते साल 92 दिनों तक वाराणसी के ज्ञानवापी सर्वे किया था. अब गुरुवार को जिला अदालत ने दोनों पक्षों को ASI सर्वे की 839 पन्नों की रिपोर्ट दे दी है. रिपोर्ट के आधार पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन के ओर से कई बड़े दावे किए गए हैं. उन्होंने कहा कि ASI ने कहा है कि मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था. यह ASI का निर्णायक निष्कर्ष है.
वकील विष्णु शंकर जैन ने आगे कहा, ‘ASI ने कहा है कि वहां पर 34 शिलालेख है जहां पर पहले से मौजूद हिंदू मंदिर के थे. जो पहले हिंदू मंदिर था उसके शिलालेख को पुन: उपयोग कर ये मस्जिद बनाया गया. इनमें देवनागरी, ग्रंथ, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों में शिलालेख मिले हैं. इन शिलालेखों में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर जैसे देवताओं के तीन नाम मिलते हैं.’
839 पन्नों की रिपोर्ट दाखिल की गई
हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने बताया, ‘ASI ने कहा है कि मस्जिद में जो खंभे लगे हुए हैं वो हिंदू मंदिर के थे जिन्हें पुन: उपयोग किया गया. मतलब हिंदू मंदिर के खंभे को मॉडिफाई किया गया. ASI की ओर से कुल 839 पन्नों की रिपोर्ट दाखिल की गई है.’
ये भी पढ़ें: PM Modi ने मैक्रों को गिफ्ट किया राम मंदिर का मॉडल, जयपुर में रोड शो के दौरान लोगों ने किया मुख्य अतिथि का स्वागत
ज्ञानवापी सर्वे के रिपोर्ट के कुछ पन्ने भी सामने आए हैं. ASI रिपोर्ट के एक हिस्से में कहा गया है, “वैज्ञानिक अध्ययन/सर्वेक्षण में वास्तुशिल्प अवशेषों, कलाकृतियों शिलालेखों, कला और मूर्तियों का अध्ययन किया गया, यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले वहां एक हिंदू मंदिर मौजूद था.”
एएसआई रिपोर्ट के कुछ हिस्से एडवोकेट विष्णु शंकर जैन के माध्यम से प्राप्त हुए हैं. इस रिपोर्ट के आधार पर वकील ने कहा है कि मस्जिद 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान एक भव्य हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर उसके अवशेषों से बनाए जाने के सबूत मिले हैं. सर्वेक्षण के दौरान दो तहखानों में हिंदू देवताओं की मूर्तियों के अवशेष भी मिले हैं.