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Exit Poll: हरियाणा में JJP और जम्मू-कश्मीर में PDP को भारी नुकसान, क्या BJP के साथ गठबंधन करना पड़ गया भारी?

महबूबा मुफ्ती और दुष्यंत चौटाला

महबूबा मुफ्ती और दुष्यंत चौटाला

Exit Poll: हाल ही में हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न हुआ, और अब एग्जिट पोल के नतीजों ने दोनों राज्यों की राजनीतिक तस्वीर को स्पष्ट रूप से उजागर भी कर दिया है. शनिवार को सामने आए एग्जिट पोलों के अनुसार, हरियाणा में जननायक जनता पार्टी (JJP) और जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के लिए चुनौतीपूर्ण समय आ रहा है. दोनों पार्टियों की साख में गिरावट देखी जा रही है, जिसका मुख्य कारण उनके पुराने सहयोगी भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में रहने का निर्णय है.

हरियाणा में JJP की मुश्किलें

हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों पर मतदान के बाद आए एग्जिट पोल के नतीजे JJP के लिए चिंताजनक हैं. सी वोटर के सर्वे के अनुसार, JJP को केवल 4% वोट मिलने का अनुमान है, जिससे पार्टी के दो सीटों तक सिमटने की संभावना है. पिछले विधानसभा चुनाव में JJP ने 10 सीटें जीती थीं और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी.

एग्जिट पोल्स में जेजेपी-एएसपी गठबंधन का कोई खासा असर होता नहीं दिख रहा है. एग्जिट पोल्स इन दोनों दलों के महज 0-2 सीटों पर सिमटने का अनुमान जताया गया है. किसान आंदोलन के दौरान बीजेपी के साथ गठबंधन को बनाए रखना, JJP के लिए बड़ी भूल साबित हुआ. इस दौरान पार्टी ने अपने जाट वोट बैंक का समर्थन खोया. पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला भी स्वीकारते हैं कि उस समय बीजेपी के साथ रहना उनके लिए गलत निर्णय था. अब, एग्जिट पोल के अनुसार, JJP को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, और इसका भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है.

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जम्मू-कश्मीर में PDP को झटका

वहीं, जम्मू-कश्मीर में PDP के लिए भी एग्जिट पोल के नतीजे सकारात्मक नहीं हैं. महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली यह पार्टी, जो कभी घाटी में मुख्यधारा की कश्मीरी मुस्लिम वोट बैंक की प्रमुख पार्टी मानी जाती थी, अब कमजोर होती जा रही है. सी वोटर के सर्वे में PDP को 6-12 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले चुनावों की तुलना में काफी कम है.

2015 में बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने के बाद, PDP का समर्थन आधार धीरे-धीरे कमजोर हुआ. अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पार्टी की स्थिति और भी खराब हुई, क्योंकि यह पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ था. इस परिवर्तन के चलते PDP के समर्थकों ने पार्टी से दूरी बना ली. अब PDP तीसरे पायदान पर पहुंच गई है, और भले ही उसके पास किंगमेकर बनने का अवसर हो, लेकिन इसकी राजनीतिक ताकत में गिरावट स्पष्ट है.

गठबंधन की राजनीति का प्रभाव

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के साथ गठबंधन करने का निर्णय क्षेत्रीय पार्टियों के लिए महंगा साबित हुआ है. हरियाणा में JJP को किसान आंदोलन के दौरान बीजेपी के साथ रहने का खामियाजा भुगतना पड़ा, जबकि जम्मू-कश्मीर में PDP को सत्ता साझेदारी के बावजूद समर्थन खोना पड़ा. आने वाला चुनाव 2024, इन दोनों राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, लेकिन एग्जिट पोल के परिणाम बताते हैं कि भविष्य की चुनौतियां इन पार्टियों के लिए कठिन होने वाली हैं. इस चुनावी परिदृश्य में इन दोनों क्षेत्रीय पार्टियों को अपनी रणनीतियों में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है, यदि वे राजनीतिक अस्तित्व बनाए रखना चाहते हैं.

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