Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान एक बार फिर 2010 की उस घटना का ज़िक्र छिड़ गया है, जब जाटों के एक समूह ने वाल्मीकि समुदाय से आने वाले परिवारों के एक दर्जन से ज़्यादा घरों में आग लगा दी थी. यह मामला हिसार जिले के मिर्चपुर गांव में हुआ था. 88 साल के रामपाल के दिमाग में यह घटना आज भी उस ही तरह ज़िंदा है. उनका परिवार भी इस हमले का शिकार हुआ था. वह कहते हैं, “हमारे गांव में अब पूरी तरह सद्भाव है. कोई दरार नहीं है. अतीत में जो हुआ, वह खत्म हो चुका है.”
चुनाव आते ही मिर्चपुर राजनीतिक चर्चा में फिर से आ गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और मौजूदा सीएम नायब सिंह सैनी सहित भाजपा के तमाम नेताओं ने इस घटना को उठाते हुए कांग्रेस पर ‘दलित विरोधी’ होने का आरोप लगाया है. 1 अक्टूबर को हरियाणा चुनाव के लिए अपनी आखिरी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने मिर्चपुर का मुद्दा उठाते हुए इस घटना का ज़िक्र किया और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा.
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भाजपा के लिए मिर्चपुर एक शक्तिशाली हथियार
मिर्चपुर हिंसा के समय हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी. इस हमले में दो दलितों की मौत भी हुई थी. अब बीजेपी एक बार फिर इस मुद्दे को उठा रही है और खासकर दलितों को इस बात की याद दिला रही है. ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस की सरकार आई तो एक बार फिर सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा बन सकते हैं. ऐसे में मिर्चपुर भाजपा के लिए एक शक्तिशाली हथियार है.
जाट मतदाताओं का वर्चस्व
मिर्चपुर गांव नारनौंद विधानसभा सीट में आता है, जहां जाट मतदाताओं का वर्चस्व है। लेकिन, 2019 में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की ओर से मैदान में उतरे गैर-जाट राम कुमार गौतम ने वरिष्ठ भाजपा जाट नेता कैप्टन अभिमन्यु को हराया था. गौतम अब सफीदों से भाजपा के उम्मीदवार हैं, जबकि नारनौंद में भाजपा के अभिमन्यु और कांग्रेस के जस्सी पेटवार के बीच जाट बनाम जाट मुकाबला देखने को मिल रहा है.