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‘हमारे पास सारी व्यवस्थाएं हैं’, रिजल्ट से पहले किस बात का संकेत दे रहे CM सैनी? जलेबी पर भिड़े दीपेंद्र हुड्डा

Haryana Assembly Election 2024

कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा और सीएम नायब सिंह सैनी

Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे. लेकिन, इससे पहले राज्य की सत्ता में काबिज बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस, दोनों ही दलों के नेताओं के बीच जुबानी जंग का सिलसिला शुरू हो चुका है. दोनों पार्टियों के नेता अपनी-अपनी जीत और सरकार बनाने के दावे कर रहे हैं. कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर चुनावों में जीत के साथ सरकार बनाने का दावा किया है. वहीं, सीएम सैनी ने भी तीसरी बार बीजेपी सरकार का दावा करते हुए कहा है कि हमारे पास सारी व्यवस्थाएं हैं, सारे इंतजाम हैं.

दीपेंद्र हुड्डा ने एक्स पर जलेबी को लेकर भिड़ गए और पोस्ट करते हुए कहा कि नायब जी आप चिंता न करें. राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनाकर उसी गोहाना के जलेबी का डिब्बा 8 की शाम हम याद से आपके पास भी जरूर भेजेंगे. हुड्डा ने ये पोस्ट हरियाणा बीजेपी के उस वीडियो को रीट्वीट करते हुए लिखा है जिसमें सीएम सैनी राहुल गांधी के जलेबी वाले बयान को लेकर तंज करते दिख रहे हैं.

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किस इंतजाम की बात कर रहे हैं सीएम सैनी?

हरियाणा चुनाव को लेकर लगभग हर एग्जिट पोल नतीजों में कांग्रेस सरकार के अनुमान जताए गए हैं. ऐसे में सीएम सैनी के तीसरी बार बीजेपी सरकार के विश्वास का आधार क्या है और वह आखिर किन इंतजामों की बात कर रहे हैं. हरियाणा के मुख्यमंत्री अगर सारे इंतजाम की बात कर रहे हैं तो उसके पीछे बीजेपी की त्वरित निर्णय और हर समय एक्शन मोड में रहने वाली पार्टी की इमेज भी है.

2019 के हरियाणा चुनाव की ही बात करें तो कांग्रेस हंग असेंबली की संभावनाएं ही टटोल रही थी कि बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) से हाथ मिलाकर सरकार बनाने का ऐलान भी कर दिया था. सैनी का संकेत उस तरफ ही होगा कि अगर वैसी ही तस्वीर बनती है तो पार्टी के पास वैसी परिस्थितियों में भी इंतजाम हैं. अब सवाल है कि आखिर वे इंतजाम कौन से हो सकते हैं?

INLD पर बीजेपी की नजर

जेजेपी के साथ साढ़े चार साल तक गठबंधन सरकार चलाने के बाद अब बीजेपी की नजर चौटाला परिवार की मूल पार्टी अभय सिंह चौटाला की अगुवाई वाले इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) पर है. कहा जा रहा है कि आईएनएलडी को बीजेपी के साथ लाने में हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के अगुवा गोपाल कांडा की भूमिका अहम हो सकती है. गोपाल कांडा के खिलाफ सिरसा सीट से जब बीजेपी ने उम्मीदवार उतार दिया था, तब अभय उनसे मिलने पहुंचे थे और समर्थन का ऐलान भी किया था. हालांकि, बीजेपी उम्मीदवार ने बाद में अपना नामांकन वापस ले लिया था और गोपाल कांडा ने भी कहा था कि हम बीजेपी से अलग नहीं हुए हैं.

क्या JJP से हाथ मिला सकती है बीजेपी?

हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे 2019 जैसे ही रहते हैं और ऐसा सीन बनता है कि पार्टी अन्य के समर्थन से सरकार बना सकती है तो बीजेपी जेजेपी को साथ लेने से भी गुरेज नहीं करेगी. बीजेपी और जेजेपी 2019 में भी साथ आए थे और मिलकर सरकार चलाई थी. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन सकी और बीजेपी ने जब हरियाणा में सरकार का चेहरा बदला, दुष्यंत चौटाला की पार्टी उसमें शामिल नहीं हुई. विधानसभा चुनाव में जेजेपी एडवोकेट चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरी थी.

निर्दलीय और बागियों के साथ संपर्क

हरियाणा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही दलों के कई मजबूत नेता टिकट नहीं मिलने पर बगवात कर निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतर पड़े हैं. बीजेपी की नजर ऐसे निर्दलीयों पर भी है जिनके चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचने की संभावनाएं हैं. बीजेपी नेताओं के अपनी पार्टियों के बागियों के संपर्क में होने की बात भी कही जा रही है जबकि चर्चा है कि कांग्रेस से आए नेताओं के जरिये पार्टी कांग्रेस के बागियों से भी संपर्क बनाए हुए है.

महत्वकांक्षी विधायकों पर भी पार्टी की नजर

राजनीति और महत्वाकांक्षा, दोनों ही एक-दूसरे के पूरक माने जाते हैं. राजनीति में ऐसे नेता विरले ही होते हैं, जिनकी महत्वाकांक्षा न हो. चुनाव के दौरान भी बीजेपी के अनिल विज, राव इंद्रजीत जैसे नेताओं की सीएम पद को लेकर महत्वाकांक्षा खुलकर सामने आई तो वहीं कांग्रेस की ओर से कुमारी सैलजा भी मतदान से एक दिन पहले तक मुख्यमंत्री के लिए अपनी दावेदारी करती रहीं. बीजेपी की रणनीति कांग्रेस और अन्य पार्टियों के महत्वाकांक्षी विधायकों को चिह्नित कर उनकी महत्वाकांक्षा को हवा देने की भी हो सकती है. वैसे भी, ‘आया राम, गया राम’ का कॉन्सेप्ट तो हरियाणा की राजनीति से ही निकला है.

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