Vistaar NEWS

RSS की रणनीति ने बदल दी चुनाव की तस्वीर, हरियाणा में BJP की जीत के पीछे ‘भागवत’ का ये प्लान

मोहन भागवत, नायब सिंह सैनी और मनोहर लाल खट्टर

मोहन भागवत, नायब सिंह सैनी और मनोहर लाल खट्टर

Haryana Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे ने सभी एग्जिट पोल और राजनीतिक विश्लेषकों की भविष्यवाणियों को गलत साबित किया है. बीजेपी ने लगातार तीसरी बार राज्य में सत्ता हासिल की है और इस बार की जीत पहले से भी बड़ी है. यह जीत इसलिए खास है क्योंकि चुनाव से पहले अधिकांश विशेषज्ञों का मानना था कि इस बार कांग्रेस के पक्ष में लहर है और एग्जिट पोल्स भी इसी बात का संकेत दे रहे थे. हालांकि, बीजेपी ने सभी अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए 48 सीटों पर कब्जा जमाया और कांग्रेस को 37 सीटों पर रोक दिया.

धरी की धरी रह गईं कांग्रेस की उम्मीदें

इस चुनाव से पहले किए गए एग्जिट पोल्स में कांग्रेस की सरकार बनने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन परिणामों ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया. 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 46 विधायकों का समर्थन चाहिए, और बीजेपी ने 48 सीटें जीतकर अपनी स्पष्ट बहुमत सुनिश्चित कर ली है. कांग्रेस, जो सत्ता में लौटने की उम्मीद कर रही थी, 37 सीटों पर ही सिमट गई, जबकि इनेलो को 2 और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 3 सीटों पर जीत हासिल की है.

RSS की रणनीति का कमाल

बीजेपी की इस जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पार्टी संगठन के मजबूत नेतृत्व के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को भी जाता है. इस बार आरएसएस की भूमिका बेहद अहम रही, खासकर तब जब हरियाणा में किसान आंदोलन, पहलवानों के आंदोलन और अग्निवीर योजना के चलते बीजेपी की स्थिति कमजोर मानी जा रही थी. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 5 सीटें गंवाई थीं, जिसके बाद आरएसएस ने राज्य में जमीनी स्तर पर मोर्चा संभाल लिया था.

यह भी पढ़ें: ‘जितना हिंदू बटेगा, उतना कांग्रेस का फायदा होगा’, पीएम मोदी बोले- हरियाणा ने बता दिया देश का मिजाज

नेतृत्व में बदलाव की सलाह

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आरएसएस ने राज्य में एक सर्वे भी किया था. इससे यह साफ हो गया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में पार्टी की वापसी मुश्किल हो सकती है. इसके बाद पार्टी के बड़े नेताओं ने नेतृत्व और रणनीति में बदलाव की आवश्यकता महसूस की. रिपोर्ट के मुताबिक, इस संदर्भ में जुलाई 2024 में नई दिल्ली में आरएसएस और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई, जिसमें हरियाणा की राजनीतिक स्थिति पर गहन चर्चा की गई.

ग्रामीण मतदाताओं तक पहुंचने की योजना

सितंबर 2024 में आरएसएस ने हरियाणा में ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचने का कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें हर जिले में 150 स्वयंसेवकों को लगाया गया. लोकसभा चुनाव के नतीजों से यह साफ हो गया था कि बीजेपी को शहरी क्षेत्रों में बढ़त मिली है, जबकि ग्रामीण इलाकों में उसे नुकसान हुआ था. इस स्थिति को सुधारने के लिए आरएसएस और बीजेपी ने ग्रामीण मतदाताओं पर खास ध्यान दिया. आरएसएस ने 90 विधानसभा क्षेत्रों में 16000 से ज्यादा बैठकें आयोजित कीं, जिसमें उन्होंने मतदाताओं से बीजेपी के समर्थन की अपील की.

सैनी का जमीनी जुड़ाव और खाप नेताओं से संवाद

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आरएसएस की सलाह पर ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं से जुड़ने की कोशिश की. सैनी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र लाडवा में व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाया और खाप और पंचायत नेताओं से मिलकर उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास किया. इसके साथ ही बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के मुद्दों को जोर-शोर से उठाया, जिससे जनता का ध्यान आकर्षित हुआ.

RSS का फोकस और बीजेपी की जीत

आरएसएस के स्वयंसेवकों ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान गांव-गांव में जाकर मतदाताओं को बीजेपी के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित किया. संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी हरियाणा आए और पानीपत के समालखा स्थित क्षेत्रीय मुख्यालय में तीन दिन तक रुके. संघ की कड़ी मेहनत और रणनीतिक प्लानिंग का परिणाम यह रहा कि बीजेपी ग्रामीण मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में कामयाब रही, जिसका सीधा असर चुनाव परिणामों पर दिखा.

इस प्रकार, हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के पीछे आरएसएस की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है, और इसने एक बार फिर से पार्टी की सत्ता में वापसी सुनिश्चित की है.

Exit mobile version