Haryana Politics: लोकसभा चुनाव के बीच हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है. मंगलवार को तीन निर्दलीय विधायकों ने नायब सिंह सैनी सरकार से अपना समर्थन वापस लेकर कांग्रेस से हाथ मिला लिया है. निर्दलीय विधायकों के पाला बदलने से सैनी सरकार अल्पमत में आ गई है.
बता दें कि 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में फिलहाल 88 विधायक हैं. बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 45 हैं. सत्तारूढ़ भाजपा के अपने 40 विधायक हैं. इसके अलावा दो निर्दलीय और हरियाणा लोकहित पार्टी का एक विधायक भाजपा के साथ हैं. सूत्रों की मानें तो भाजपा के संपर्क में जननायक जनता पार्टी के कई विधायक हैं. इसी कारण विपक्षी कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाने में संकोच कर रही है.
फिलहाल क्या है स्थिति?
बहुमत का आंकड़ा : 45 सदस्य
सरकार के साथ : 43 विधायक
बहुमत के लिए कमी : 2 विधायक
इन विधायकों ने दिया झटका
चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान, पूंडरी से निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी से निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर ने नायब सिंह सैनी की सरकार से अपना समर्थन वापस लिया है. वहीं, इसके बाद से सियासी तापमान बढ़ गया है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि निर्दलीय विधायकों ने जनभावनाओं के तहत यह फैसला लिया है. हुड्डा ने कहा, “सरकार का नैतिक अधिकार खत्म हो गया है, उन्हें(नायब सिंह सैनी) पद छोड़कर इस्तीफा दे देना चाहिए और यहां राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहिए ताकि निष्पक्ष चुनाव हो सके.”
मनोहर लाल खट्टर ने कही ये बात
निर्दलीय विधायकों द्वारा कांग्रेस को समर्थन देने पर भाजपा के कद्दावर नेता मनोहर लाल खट्टर ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, “वे निर्दलीय हैं, हम क्या कर सकते हैं. ये(कांग्रेस) अपनों को संभाल कर रखें. जिस दिन हिसाब खुल गया उस दिन इनको समझ में आएगा कि हमारे संपर्क में कितने हैं. अगर अविश्वास प्रस्ताव भी लाएंगे तो वे(कांग्रेस) ही गिरेंगे. उनके और बाकी दलों के कितने लोग हमारे साथ खड़े होंगे ये उन्हें नहीं पता हमें पता है.”