Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के छह विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई है. इन सभी विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के लिए वोट किया था. अब राज्य में कांग्रेस के केवल 34 विधायक बचे हैं लेकिन सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद को योद्धा बता रहे हैं और पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का दावा कर रहे हैं. हालांकि इससे अलग राज्य में सरकार बचाने की पूरी कवायद जारी है.
दरअसल, मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री ने मंजूर नहीं किया तो तब विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. मैं दबाव नहीं लेता बल्कि मैं दबाव देता हूं. उनके इस बयान के कई मतलब निकाले गए हैं. लेकिन मान-मनौव्वल का दौर अभी जारी है. इस दौरान परिवेक्षकों के साथ पार्टी हर विकल्प पर विचार कर रही है.
क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक पंजकूला में मौजूद
इन सबके बीच सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मुख्यमंत्री आवास पर पार्टी विधायकों को नाश्ते पर बुलाया था. लेकिन सुक्खू सरकार के नाश्ते का स्वाद बिगड़ गया क्योंकि क्रॉस वोटिंग करने वाले सभी विधायक पंचकूला में मौजूद हैं. दूसरी ओर सूत्रों की माने तो कांग्रेस के चार विधायक विक्रमादित्य सिंह, मोहन लाल, नंद लाल और धनिराम सीएम आवास पर नाश्ते में नहीं पहुंचे थे.
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दूसरी ओर क्रॉस वोटिंग करने के 48 घंटे के अंदर ही विधानसभा अध्यक्ष ने उन छह विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी है. उन्होंने कहा, ‘मैंने उन 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है, अब वे हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं हैं.’ अब अगर नाश्ते पर नहीं चार विधायकों को भी हटा दें तो कांग्रेस के पास कुल 30 विधायक बचते हैं. जबकि दूसरी ओर बीजेपी के पास कुल 28 विधायकों का समर्थन है.
हालांकि अभी आगे की तस्वीर बहुत हद तक परिवेक्षकों पर निर्भर करेगी. इसकी झलक मंत्री विक्रमादित्य सिंह के बयान में दिख गई है. उन्होंने कहा है कि पर्यवेक्षक यहां आए हैं और चीजें ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं. सबका आशीर्वाद साथ है तो जो होगा अच्छा होगा. दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह ने कहा है कि जब सुखविंदर सिंह सुक्खू का एक साल से ज्यादा समय हो गया है, फिर भी उनके मसलों का संज्ञान नहीं ले रहे, उनकी बात नहीं सुन रहे तो उनका नाराज होना जायज है.