Himachal Politics: हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के बाद से सियासी उथलपुथल जारी है. कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी से बगावत कर सियासी संकट खड़ा कर दिया है. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुधीर शर्मा को पार्टी के राष्ट्रीय सचिव पद से हटाकर कड़ा संदेश देने का प्रयास किया है. खड़गे का फैसला हाईकमान पर शर्मा द्वारा हमले करने के बाद आया है.
बता दें कि सुधीर शर्मा ने पार्टी से बगावत कर राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में वोट डाला था. उनके साथ कांग्रेस के 5 अन्य विधायकों (राजेंद्र राणा, देवेंद्र भुट्टो, चैतन्य शर्मा, रवि ठाकुर व इंद्र दत्त लखनपाल) ने भी भाजपा के पक्ष में मतदान किया था. जिसके कारण कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को हार का सामना करना पड़ा था.
“मुझे जलील किया जा रहा था”
सुधीर शर्मा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिख कांग्रेस हाईकमान को घेरा है. उन्होंने लिखा, “अन्याय सहना उतना ही अपराध है, जितना अन्याय करना. अन्याय से लड़ना आपका कर्तव्य है.” शर्मा ने आगे कहा, “मुझे राजनीतिक तौर पर जलील किया जा रहा था.विकास के मामले में इलाके की अनदेखी की जा रही थी. मेरे जैसे पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को नीचा दिखाने के लिए घिनौनी हरकतें की जा रही थी, यहां तक कि मुझे रास्ते से हटाने के लिए पार्टी के भीतर ही किसी नेता ने कुछ ताकतों को सुपारी तक दे दी थी तो फिर खामोश कैसे बैठ जा सकता था… जय श्रीराम, जय हिमाचल, वंदे मातरम.”
भगवद गीता में एक श्लोक है जिसका भावार्थ है- ” अन्याय सहना उतना ही अपराध है, जितना अन्याय करना। अन्याय से लड़ना आपका कर्तव्य है।”
प्रिय हिमाचल वासियों, मेरे सामाजिक सरोकार, विकास के लिए मेरी प्रतिबद्धता और जन हित के लिए हमेशा आगे खड़े रहना मेरे खून में है और मुझे विरासत…
— sudhir sharma (@sudhirhp) March 6, 2024
बागी विधायक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
कांग्रेस के जिन छह विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में वोट डाला था. उन्हें स्पीकर ने अयोग्य करार दिया था. मंगलवार, 5 मार्च को अयोग्य करार दिए गए कांग्रेस के विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. इन विधायकों ने स्पीकर के अयोग्य करार दिए जाने के निर्णय को रद्द करने की मांग की है.