Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार पर आया संकट फिलहाल कुछ दिनों के लिए टल गया है. दरअसल, पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे और मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि बाद में उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया. हिमाचल में सियासी संकट के बीच कांग्रेस हाईकमान भी एक्टिव हो गया है. कांग्रेस हाईकमान बागी विधायकों को मनाने में जुट गई है. वहीं विधायकों के अयोग्यता को लेकर स्पीकर ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. कांग्रेस के 6 बागी विधायकों ने राज्य सभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ जाकर बीजेपी उम्मदीवार हर्ष महाजन को वोट दिया था.
सुक्खू बोले- मेरे छोटे भाई हैं, उन्हें मना लेंगे
वहीं, शाम को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि विक्रमादित्य सिंह मेरे छोटे भाई हैं, उन्हें मना लेंगे. त्यागपत्र को स्वीकार नहीं किया जाएगा. बुधवार सुबह विक्रमादित्य विधानसभा परिसर में पहुंचे और पत्रकारों से बातचीत में कहा कि त्यागपत्र के बाद भी वह पार्टी में बने रहेंगे और समर्थकों के साथ विचार-विमर्श कर भविष्य की राजनीति तय करेंगे. उन्होंने कहा कि उनके विभाग में बेवजह दखल कर प्रताड़ित करने का प्रयास किया गया. सब जान बूझकर किया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
मंत्रिमंडल में 14 माह में तालमेल नहीं रहा: सुक्खू
सीएम सुक्खू ने कहा कि वह किसी के दबाव में आने वाले नहीं हैं. मेरी आवाज दबाने का प्रयास किया तो सहन नहीं करेंगे. विक्रमादित्य ने कहा कि वीरभद्र सिंह ने सारी उम्र अपनी शर्तों पर राजनीति की और मैं भी उनके पदचिह्नों पर चल रहा हूं. यदि उनकी आवाज दबाने का प्रयास किया तो सहन नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में 14 माह में तालमेल नहीं रहा. सवा साल के दौरान कांग्रेस विधायकों की अनदेखी हुई और उनकी आवाज को दबाया गया. इस कारण मौजूदा घटनाक्रम हुआ है.