Covaxin Row: कोरोना भले ही चला गया है, लेकिन कोविशील्ड और कोवैक्सीन अभी भी चर्चा में बने हुए हैं. भारत के प्रतिष्ठित संस्थान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के वैज्ञानिकों ने कोविशील्ड की तरह ही कोवैक्सीन से भी स्वास्थ्य संंबंधित समस्याएं का दावा कर माहौल गरमा रखा है. वहीं, अब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने पल्ला झाड़ते हुए बीएचयू के वैज्ञानिकों को नोटिस भेज दिया है.
आईसीएमआर ने एक बयान में कहा कि वह इससे जुड़ा नहीं है और उसने रिसर्च के लिए कोई वित्तीय या तकनीकी सहायता प्रदान नहीं की है. आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि जिस रिसर्च में यह दावा किया गया है कि कोवैक्सीन लेने वाले लोगों पर गंभीर साइड्स इफेक्ट्स देखे गए, वह रिसर्च पूरी तरह भ्रामक और गलत तथ्यों पर आधारित है. बहल ने रिसर्च की खराब पद्धति और डिजाइन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आईसीएमआर का रिसर्च से कोई लेना-देना नहीं है. साथ ही उन्होंने मांग की है कि रिसर्च पेपर से आईसीएमआर का नाम हटाया जाए और एक माफीनामा छापा जाए.
BHU ने गठित की कमेटी
वहीं, बीएचयू के चिकित्सा संस्थान ने बताया कि आईसीएमआर को जवाब देने के लिए चार सदस्यों के अंतर्गत एक कमेटी गठित की गई है और इस मामले की जांच की जा रही है.
क्या है मामला?
दरअसल, बीते हफ्ते बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के जिरियाट्रिक और फार्माकोलॉजी विभाग की ओर से कोवैक्सीन से लोगों पर दुष्प्रभाव के दावे किए गए थे. यह दावा जिरियाट्रिक विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संखा शुभ्रा चक्रबर्ती और फार्माकोलॉजी विभाग से जुड़ी डॉक्टर उपिंदर कौर की तरफ से किया गया था. इन वैज्ञानिकों का मानना है कि कोवैक्सीन के प्रभाव से ब्लड क्लॉटिंग, स्ट्रोक व स्वास्थ्य से संबंधित अन्य समस्याएं हो सकती है.