कैराना से सपा सांसद इकरा हसन (Iqra Hasan) ने लोकसभा में एक ऐसी मांग उठाई है, जिसकी हर तरफ चर्चा है. लोग इकरा हसन की तारीफ कर रहे हैं. दरअसल, सपा सांसद ने शामली से प्रयागराज और वैष्णो देवी के लिए सीधी ट्रेन सेवा की मांग की है. हसन ने रेल मंत्री से शामली को सीधी ट्रेनों के जरिए हिंदू तीर्थ स्थलों प्रयागराज और वैष्णो देवी से जोड़ने की मांग की है. उन्होंने कहा कि लंबे समय से क्षेत्र के लोग ऐसी मांग कर रहे हैं. तीर्थ स्थल तक सीधी ट्रेन चलने से क्षेत्र के लोगों को फायदा होगा.
उन्होंने कहा कि मेरे संसदीय क्षेत्र कैरान में रेलवे मंत्रालय से संबंधित विभिन्न काम लंबे समय से लंबित है. इसे पूरा कराना आम जनता की सुविधा के लिए बहुत आवश्यक है. अब इकरा हसन की मांग पर लोग सपा सांसद की खूब तारीफ कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं, “जनप्रतिनिधी हो तो इकरा जैसी. ”
इकरा ने प्रयागराज और वैष्णो देवी के लिए सीधी ट्रेन की मांग उठाई. हिंदू श्रद्धालुओं के लिए यात्रा को आसान बनाने की इस मांग ने काफी विवाद खड़ा कर दिया है. हसन ने बताया कि शामली से कई यात्राएं शुरू होती हैं. लोग इस शहर से बड़ी संख्या में धार्मिक स्थानों की यात्रा करते हैं. उन्होंने कहा कि इन स्थानों के लिए सीधी ट्रेन नहीं होने से श्रद्धालुओं को असुविधा होती है, क्योंकि उन्हें कई ट्रेनें बदलनी पड़ती हैं.
अब चर्चा शुरू हो गई है कि हसन ने यहां दिखाया है कि कैसे राजनेता अपने मंच का उपयोग अपने क्षेत्रों से संबंधित कुछ मुद्दों को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं, जिन पर सरकार के राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान देने की आवश्यकता है. कैराना लोकसभा सीट से सपा सांसद इकरा हसन के इस बयान की काफी सराहना हो रही है. सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर यूजर्स इस बयान को धर्मनिरपेक्षता से जोड़ रहे हैं और उन्हें एक सच्ची जनप्रतिनिधि बता रहे हैं.
कौन हैं इकरा हसन?
लंदन स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज की पूर्व छात्रा इकरा हसन ने अपनी मां तबस्सुम हसन और तीन बार विधायक रह चुके भाई नाहिद हसन के खिलाफ यूपी में मामला दर्ज किए जाने के बाद राजनीति में कदम रखा. इससे पहले भी जब नाहिद ने जेल से 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव लड़ा, तो इकरा ही कस्बों और गांवों में उनके अभियान का प्रबंधन कर रही थीं. इकरा हसन पिछले नौ सालों से कैराना क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय हैं.
राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही इकरा
पूर्व सांसद चौधरी अख्तर हसन की पोती और पूर्व सांसद मुनव्वर हसन और तबस्सुम की बेटी 2019 में तब मीडिया की सुर्खियों में आईं, जब उन्होंने लंदन में CAA विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. 2022 में जब तत्कालीन विधायक नाहिद हसन गैंगस्टर मामले में कोर्ट में सरेंडर किया, तब इकरा हसन ने उनका राजनीतिक काम देखा. राजनीति में हसन परिवार के मुखिया अख्तर हसन ने नगर निगम चुनाव में पार्षद का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद वे चेयरमैन और फिर कैराना लोकसभा सीट से सांसद बने. उन्होंने अपने बेटे मुनव्वर हसन को भी राजनीति में उतारा. बाद में मुनव्वर हसन ने पश्चिमी यूपी के बड़े नेता के रूप में अपनी छाप छोड़ी.
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परिवार की दूसरी महिला जो बनी सांसद
उनके निधन के बाद उनकी पत्नी तबस्सुम बेगम ने राजनीति में कदम रखा और कैराना लोकसभा सीट से दो बार सांसद रहीं. तबस्सुम के बेटे नाहिद हसन वर्तमान में कैराना विधानसभा से विधायक हैं. अब इकरा हसन अपनी मां के बाद परिवार की दूसरी महिला हैं जो सांसद बनी हैं. इससे पहले 2016 में वह जिला पंचायत का चुनाव पांच हजार वोटों से हार गई थीं.
एक बार इकरा हसन ने कहा था, “सत्ताधारी पार्टी ने मेरे भाई और मां पर दर्जनों झूठे मुकदमे दर्ज किए. भाई के जेल में रहने के दौरान मैंने विधानसभा चुनाव में प्रचार करके और लोगों का प्यार जीतकर राजनीति में कदम रखा. मैंने अपने भाई को जिताया और लोकसभा सीट पर भाजपा पार्टी को हराकर अपना परचम लहराया. उत्तर प्रदेश से लंदन पढ़ाई करने गई, इसमें मेरी मां का सबसे बड़ा सहयोग और पिता का आशीर्वाद रहा और अब मैं अपने लोगों के हक के लिए काम करूंगी.”
बताते चलें कि इस बार के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वांचल तक भाजपा को लोकसभा चुनावों में नुकसान उठाना पड़ा, 2019 के चुनावों में उसे 62 सीटें मिली थीं, जबकि उसे मात्र 33 सीटें ही मिलीं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की पहली उम्मीदवार इकरा हसन ने भाजपा के प्रदीप चौधरी को 69,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया.