‘राष्ट्रपति को अदालतें आदेश नहीं दे सकतीं…’, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर Jagdeep Dhankhar ने जताई नाराजगी, जानें पूरा मामला
जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति
Jagdeep Dhankhar Attack on Judiciary: गुरुवार, 17 अप्रैल को जगदीप धनकड़ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर अपनी नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा है कि आर्टिकल 142 न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है. बता दें, पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति और राज्यपालों को बिलों को मंजूरी देने की समयसीमा तय की थी. SC के इस आदेश पर ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक कार्यक्रम के दौरान अपनी नाराजगी जताई.
आर्टिकल 142 को बताया न्यूक्लियर मिसाइल
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने कहा कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हम ऐसे हालात नहीं बना सकते जहां अदालतें राष्ट्रपति को निर्देश दें. उन्होंने संविधान का अनुच्छेद 142 का जिक्र करते हुए कोर्ट को मिले विशेष अधिकार पर कहा कि यह लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ 24×7 उपलब्ध न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है.
बता दें कि 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु गवर्नर Vs राज्य सरकार के केस में गवर्नर के अधिकार की ‘सीमा’ तय कर दी थी. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा था कि राज्यपाल के पास कोई वीटो पावर नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के 10 जरूरी बिलों को राज्यपाल की ओर से रोके जाने को अवैध तक बता दिया था.
क्या है आर्टिकल 142?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को विशेष अधिकार प्रदान करता है. यह आर्टिकल भारत के सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार देता है कि वह पूर्ण न्याय (कम्पलीट जस्टिस) करने के लिए कोई भी आदेश, निर्देश या फैसला दे सकता है. यह आदेश किसी भी मामले में दिए जा सकते हैं.
‘सुपर संसद के रूप में काम कर रहे न्यायधीश’- धनखड़
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों पर निर्णय लिए जाने के समयसीमा निर्धारित करने के SC के आदेश पर चिंता जताते हुए कहा कि भारत ने ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां न्यायाधीश कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का काम स्वयं संभालेंगे और एक ‘सुपर संसद’ के रूप में कार्य करेंगे. न्यायधीश सुपर संसद के रूप में काम नहीं कर सकते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी चिंताएं ‘बहुत उच्च स्तर’ पर हैं और उन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं सोचा था कि उन्हें यह सब देखने मिलेगा. भारत में राष्ट्रपति का पद बहुत ऊंचा है और राष्ट्रपति संविधान की रक्षा, संरक्षण एवं बचाव की शपथ लेते हैं, जबकि मंत्री, उपराष्ट्रपति, सांसदों और न्यायाधीशों सहित अन्य लोग संविधान का पालन करने की शपथ लेते हैं.
यह भी पढ़ें: LIVE: CM देवेंद्र फडणवीस को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भेजा नोटिस, 8 मई तक मांगा जवाब
जस्टिस यशवंत वर्मा पर भी बोले उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस दौरान दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा पर भी बात की. उन्होंने कहा- ’14 और 15 मार्च की रात को नई दिल्ली में एक न्यायाधीश के घर पर एक घटना हुई. सात दिनों तक, किसी को इसके बारे में पता नहीं था. हमें अपने आप से सवाल पूछने होंगे. क्या देरी समझने योग्य है? क्षमा करने योग्य है? 21 मार्च को एक समाचार पत्र द्वारा खुलासा किया गया. इस विस्फोटक चौंकाने वाले खुलासे पर गहराई से चिंतित और परेशान थे. राष्ट्र बेचैन है क्योंकि हमारी संस्थाओं में से एक, जिसे लोगों ने हमेशा सर्वोच्च सम्मान और श्रद्धा के साथ देखा है, कटघरे में डाल दिया गया.’