Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के तारीखों और आदर्श आचार संहिता की घोषणा से पहले जम्मू-कश्मीर में केंद्र ने बड़ा दांव लगाया है. दरअसल, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए अलग से 10 प्रतिशत कोटा को मंजूरी दे दी है. इस फैसले का सीधा लाभ पहाड़ी जनजातियों- पददारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मण को मिलेगा. इन्हें हाल ही में अनुसूचित जनजाति की कैटेगिरी में शामिल किया गया था.
केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. अब जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजातियों के लिए कुल कोटा 20% कर दिया गया है. इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुज्जरों और बकरवालों से वादा किया था कि उनका कोटा नहीं छीना जाएगा.
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बीजेपी को फायदे की उम्मीद
केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के इस फैसले से भाजपा को उम्मीद है कि इस लोकसभा चुनाव में पार्टी को इसका फायदा मिलेगा. क्योंकि राजौरी और पुंछ जिलों में पहाड़ियों की आबादी बहुत अधिक है. वहीं जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने ओबीसी में 15 नई जातियों को जोड़ने की भी मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का आरक्षण दोगुना करते हुए आठ फीसदी कर दिया गया है.
जम्मू-कश्मीर में अब ओबीसी का कोटा बढ़ाकर 8% कर दिया गया है. गौरतलब है कि अनुसूचित जनजाति संवर्ग में दस फीसदी आरक्षण को लेकर एक बिल इसी साल विधानसभा में पारित किया गया था. इसमें कहा गया था कि अनुसूचित जनजाति में पहले से शामिल गुज्जर-बकरवाल समुदाय के आरक्षण से छेड़छाड़ के बिना अन्य जनजाति के लोगों को कोटा दिया जाएगा.
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने किया था वादा
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजौरी और बारामूला के लोगों से अपने दौरे पर वादा किया था. उन्होंने पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा देने का भरोसा दिलाया था. साथ ही गुज्जर-बकरवालों को आश्वस्त किया था कि उनके आरक्षण में किसी प्रकार की कटौती नहीं होगी. अब केंद्र सरकार ने पहाड़ी समुदाय के लोगों को तोहफा दे दिया है. राजनीतिक जानकारों के मुताबकि, इस फैसले का लाभ लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिल सकता है. पिछले वर्षों अमित शाह ने राजौरी और बारामूला का दौरा भी किया था और वहां के जनजाति समुदाय के लोगों से मुलाकात की थी.