Jammu Kashmir Election: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. इस चरण में सबसे बड़ा आकर्षण नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हैं. उनकी राजनीतिक किस्मत का फैसला अब EVM में कैद हो चुका है. इस बार उन्होंने गांदरबल और बडगाम दोनों सीटों से ताल ठोक रहे हैं. यह चुनाव न केवल उमर अब्दुल्ला के लिए बल्कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति के भविष्य के लिए भी अहम साबित हो सकता है.
कांग्रेस पर उमर का निशाना
इस बीच उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस के चुनावी अभियान पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने कश्मीर में कुछ सीटों पर प्रचार किया है, लेकिन उनका असली फोकस जम्मू में होना चाहिए था. उमर ने कहा, “कांग्रेस के लिए जम्मू ज्यादा महत्त्वपूर्ण है और उनका सारा ध्यान वहीं होना चाहिए था. दुर्भाग्य से, कांग्रेस ने जम्मू में उतनी मेहनत नहीं की जितनी करनी चाहिए थी.”
उमर का मानना है कि कांग्रेस का प्रदर्शन कश्मीर में उतना महत्त्वपूर्ण नहीं है, जितना कि जम्मू में है. उन्होंने कहा, “कांग्रेस को जम्मू में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी, इसलिए गठबंधन में उन्हें ज्यादा सीटें दी गईं. अब तक कांग्रेस ने वहां अपना प्रचार शुरू नहीं किया है. केवल पांच दिन बचे हैं और मुझे उम्मीद है कि राहुल गांधी अब जम्मू पर ध्यान देंगे.”
पारिवारिक सीट पर चुनौती
उमर अब्दुल्ला इस चुनाव में अपनी पारंपरिक सीट गांदरबल से चुनाव लड़ रहे हैं, जिसे अब्दुल्ला परिवार की सीट माना जाता है. इस सीट से उनके दादा शेख अब्दुल्ला और पिता फारूक अब्दुल्ला भी चुनाव लड़कर विजयी हुए थे. हालांकि, इस बार की चुनावी चुनौती उमर के लिए आसान नहीं दिख रही है. उनके सामने इस सीट को फिर से हासिल करने की कठिन चुनौती है, क्योंकि विपक्ष इस बार उन्हें कड़ी टक्कर दे रहा है.
दूसरी ओर, बडगाम सीट से भी उमर चुनावी मैदान में हैं. यह सीट उनके लिए नई है और यहां उनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है. उमर अब्दुल्ला के दोनों सीटों पर चुनावी भविष्य का फैसला आज होने वाला है, जो उनके राजनीतिक करियर के लिए बेहद अहम साबित होगा.
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क्या कांग्रेस संभाल पाएगी मोर्चा?
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की स्थिति पर उमर अब्दुल्ला के बयानों ने एक नई बहस को जन्म दिया है. क्या कांग्रेस जम्मू में अपना आधार मजबूत कर पाएगी, या फिर भाजपा और अन्य पार्टियों के बीच संघर्ष में कहीं खो जाएगी? उमर का कहना है कि कांग्रेस की कमजोरी ने जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक समीकरणों पर गहरा प्रभाव डाला है. अगर कांग्रेस समय रहते अपनी रणनीति नहीं बदलती, तो इसका फायदा प्रतिद्वंद्वी पार्टियों को मिल सकता है.
चुनाव परिणाम का इंतजार
अब सवाल यह है कि उमर अब्दुल्ला अपनी पारिवारिक सीट गांदरबल पर अपनी पकड़ बनाए रख पाएंगे या नहीं, और कांग्रेस जम्मू में अपने प्रदर्शन को कैसे सुधार पाएगी. चुनावी नतीजे ही इन सवालों का जवाब देंगे, लेकिन फिलहाल, सभी की निगाहें उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस के आगे की रणनीति पर टिकी हैं. कहा तो ये भी जा रहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन पर संकट है.