Jammu-Kashmir Statehood: जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने इस संबंध में सहमति जताई है और आगामी संसद के शीतकालीन सत्र में इसके लिए प्रस्ताव लाने की योजना है. इस प्रस्ताव को पारित करने के बाद जम्मू-कश्मीर को उसकी ऐतिहासिक स्थिति बहाल हो जाएगी, जबकि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बनाए रखा जाएगा.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पहल
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 23 और 24 अक्टूबर को क्रमशः गृह मंत्री अमित शाह और पीएम मोदी से मुलाकात की. उन्होंने पीएम मोदी से जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की. उन्हें यह आश्वासन मिला कि जल्द ही इस दिशा में कदम उठाए जाएंगे. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर को 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A के तहत विशेष अधिकारों से वंचित कर दिया गया था.
क्या है कानूनी प्रक्रिया?
इस नए प्रस्ताव की कानूनी प्रक्रिया जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत संचालित होगी. पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए संसद में एक नया कानून पारित करना आवश्यक होगा, जो संविधान की धारा 3 और 4 के तहत होगा. इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में वोटिंग आवश्यक होगी. प्रस्ताव की मंजूरी के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और उनकी स्वीकृति मिलने पर, अधिसूचना जारी की जाएगी.
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पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद क्या बदलेगा?
कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी: राज्य सरकार को पुलिस और कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी मिलेगी, जिससे वह सीधे इन मामलों में निर्णय ले सकेगी.
विधानसभा के अधिकार: राज्य विधानसभा को पब्लिक ऑर्डर और समवर्ती सूची के तहत कानून बनाने का अधिकार मिलेगा.
वित्तीय स्वायत्तता: राज्य सरकार को केंद्र पर निर्भरता कम करते हुए वित्त आयोग से वित्तीय सहायता प्राप्त होगी, जिससे उसे अपनी योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू करने में मदद मिलेगी.
मंत्री पद का विस्तार: केंद्र शासित प्रदेशों में विधायकों की संख्या के 10% मंत्रियों का चुनाव करने की अनुमति होती है, जबकि पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने पर यह संख्या 15% तक बढ़ जाएगी.
प्रशासनिक नियंत्रण: एंटी करप्शन ब्यूरो और अन्य अखिल भारतीय सेवाओं पर राज्य सरकार का नियंत्रण होगा, जिससे प्रशासनिक मामलों में उप-राज्यपाल की भूमिका कम हो जाएगी.
किसने क्या-क्या कहा?
इस घटनाक्रम के बाद, विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं. कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि वे जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष जारी रखेगी. इस बीच, उमर अब्दुल्ला ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को पास किया, जिसे उप-राज्यपाल ने भी मंजूर कर लिया है.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है. इस याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर UT को जल्द से जल्द पूर्ण राज्य का दर्जा देना चाहिए. याचिका में मांग की गई है कि जम्मू कश्मीर को दो महीनों के भीतर पूर्ण राज्य बनाया जाए. अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में गुरुवार को सुनवाई करेगी.
जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का निर्णय न केवल वहां की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित करेगा, बल्कि यह क्षेत्र के विकास और स्थिरता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. यह कदम जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को उनकी लोकतांत्रिक भागीदारी और विकास के अधिकारों को बहाल करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है. अब देखना यह है कि संसद में इस प्रस्ताव को लेकर क्या कार्रवाई होती है और जम्मू-कश्मीर में नई राजनीतिक दिशा कैसी बनती है.