Jammu Kashmir Election: आम आदमी पार्टी ने रविवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए 7 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. पार्टी ने पुलवामा से फैयाज अहमद सोफी, राजपोरा से मुद्दसिर हसन और देवसर से शेख फिदा हुसैन को मैदान में उतारा है. मोहसिन शफकत मीर को डूरू, मेहराज दीन मलिक को डोडा, यासिर शफी मट्टो को डोडा पश्चिम और मुससिर अजमत मीर को बनिहाल से टिकट मिला है. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर तीन चरणों में होंगे.
कहां से किसे मिला टिकट?
पुलवामा: फैयाज अहमद सोफी
राजपोरा: मुदासिर हसन
देवसर: शेख फिदा हुसैन
डूरू: मोहसिन शफकत मीर
डोडा: मेहराज दीन मलिक
डोडा पश्चिम: यासिर शफी मट्टो
बनिहाल: मुसासिर अजमत मीर
कांग्रेस और NC का गठबंधन
बता दें कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन किया है, जबकि महबूबा मुफ्ती की पीडीपी ने गठबंधन को अपना समर्थन देने की घोषणा की है. जम्मू में जनाधार रखने वाली बीजेपी इस क्षेत्र में अकेले चुनाव लड़ रही है. शनिवार को एक कांग्रेस नेता और एक पूर्व पुलिस अधिकारी अपने दर्जनों समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए. जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना ने पार्टी मुख्यालय में दो अलग-अलग समारोहों में नए लोगों का स्वागत किया. उन्होंने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन को बीजेपी की बढ़ती लोकप्रियता का नतीजा बताया.
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पहले समारोह में पूर्व एसएसपी मोहन लाल भाजपा में शामिल हुए, एक दिन पहले ही उनकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन स्वीकार कर लिया गया था. मोहन लाल को अखनूर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का टिकट दिए जाने की संभावना है. पूर्व एसएसपी ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे कि पार्टी चुनावों में 50 से अधिक सीटों का लक्ष्य हासिल करे.
नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस में बेचैनी: रविंदर रैना
पूर्व एसएसपी मोहन लाल का पार्टी में स्वागत करते हुए रविंदर रैना ने कहा कि पूर्व मंत्री चौधरी जुल्फिकार अली और पूर्व एमएलसी मुर्तजा खान जैसे प्रमुख लोगों के भाजपा में लगातार शामिल होने से कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस में बेचैनी है. उन्होंने कहा, “फारूक अब्दुल्ला और कांग्रेस नेतृत्व ने बार-बार कहा है कि वे अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, लेकिन उन्हें अचानक एक साथ आने के लिए क्या मजबूर होना पड़ा. वे भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता से डरे हुए हैं और हार का सामना कर रहे हैं.”