Jammu Kashmir Election: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव पर है. अंतिम चरण में 40 सीटों पर मतदाता अपने प्रतिनिधियों को चुन रहे हैं. कुल 39.18 लाख मतदाता 415 उम्मीदवारों के भविष्य का फैसला करेंगे. इन 40 सीटों में से 24 सीटें जम्मू क्षेत्र की और 16 कश्मीर घाटी की हैं, जहां जम्मू की सीटों पर खास नजर है क्योंकि सत्ता का रास्ता इन्हीं सीटों से तय होगा.
इस चरण में सभी प्रमुख राजनीतिक दल मैदान में हैं. पीडीपी 33 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि कांग्रेस 24 सीटों पर दांव लगा रही है. कांग्रेस के सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस 18 सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है. दूसरी ओर बीजेपी ने जम्मू की सभी 24 सीटों के साथ कुल 29 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. इसके अलावा 155 निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
जम्मू क्षेत्र में बीजेपी का दबदबा
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों के मतदाताओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. जम्मू क्षेत्र में हिंदू मतदाता चुनावी समीकरणों को प्रभावित करते हैं, जबकि कश्मीर में मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका अहम है. पिछले चुनावों में जम्मू क्षेत्र में बीजेपी का प्रभाव बढ़ता दिखा था, जबकि कश्मीर में पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे दल प्रमुख रहे थे. हालांकि, इस बार सियासी परिदृश्य में बदलाव आया है, खासकर कश्मीर के उत्तर में जहां इंजीनियर राशिद और सज्जाद लोन जैसे नेता राजनीतिक धारा बदलने की कोशिश कर रहे हैं.
कश्मीर में पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए चुनौती बढ़ गई है, क्योंकि यहां अब कई सियासी खिलाड़ी मैदान में हैं. इन 16 सीटों में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और राशिद की पार्टी ने उम्मीदवार उतारे हैं, जिससे मुकाबला और कठिन हो गया है.
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जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों का समीकरण
जम्मू-कश्मीर विधानसभा की कुल 90 सीटों में से 43 जम्मू क्षेत्र में और 47 कश्मीर घाटी में हैं. कश्मीर क्षेत्र की 47 सीटों पर पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस गठबंधन, अवामी इत्तेहाद पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और जमात-ए-इस्लामी जैसी कई पार्टियों के बीच मुकाबला हो रहा है. वहीं, जम्मू क्षेत्र की 43 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस का सीधा मुकाबला है.
सियासी परिदृश्य में बदलाव
2014 के चुनावों में बीजेपी ने 18 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस ने 5 सीटें अपने नाम की थीं. इस बार का चुनावी समीकरण बदल गया है. कश्मीर में कई छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ मुकाबला कठिन हो गया है. पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए इस बार की चुनौती बड़ी है, क्योंकि उनका वर्चस्व कमजोर हो रहा है.
तीसरे चरण की सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है, लेकिन कश्मीर क्षेत्र की सीटों पर मुकाबला कई धड़ों के बीच बंट गया है, जिससे परिणाम अनिश्चित नजर आ रहे हैं. यह चुनाव जम्मू क्षेत्र के मतदाताओं के लिए अहम है, क्योंकि सत्ता का रास्ता यहां से ही गुजर सकता है.