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14 सीटों पर दबदबा, आदिवासी वोट बैंक पर अच्छी पकड़…चंपई सोरेन के BJP में शामिल होने से बिगड़ सकता है JMM का समीकरण!

Champai Soren

चंपई सोरेन और हेमंत सोरेन

Jharkhand Politics:  राज्य विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल होने की अटकलों के बीच झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और JMM नेता चंपई सोरेन रविवार को दिल्ली पहुंचे. दावा किया जा रहा है कि वे जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. इन अटकलों को हवा चंपई सोरेन ने खुद ही दी है. उन्होंने अपनी ही पार्टी के खिलाफ खुले तौर पर बगावत कर दी है. चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर हिन्दी भाषा में एक लंबा-चौड़ा पोस्ट शेयर किया है. इस पोस्ट में उन्होंने अपना दर्द बयां किया है. चंपई सोरेन ने कहा है कि सीएम पद से हटाकर पार्टी ने मेरा अपमान किया है. मैं अंदर से टूट गया हूं. मेरे पास तीन विकल्प हैं.

मेरे जीवन का एक नया अध्याय शुरू: चंपई

चंपई सोरेन ने कहा, “आज से मेरे जीवन का एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है. मेरे पास तीन विकल्प थे. पहला, राजनीति से संन्यास लेना, दूसरा, अपना अलग संगठन बनाना और तीसरा, अगर मुझे इस रास्ते पर कोई साथी मिल जाए, तो उसके साथ आगे की यात्रा करना.” पिछले दिनों जमानत मिलने के बाद हेमंत सोरेन ने एक बार फिर से झारखंड के सीएम पद की जिम्मेदारी संभाली थी. तब से चंपई पार्टी और नेताओं से नाराज चल रहे हैं.

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झारखंड की राजनीति में चंपई का रसूख

अगर चंपई सोरेन बीजेपी में शामिल होते हैं तो आगामी विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा और इंडी ब्लॉक को बड़ा डेंट लग सकता है. चंपई सोरेन का राज्य में बड़ा रसूख है. आदिवासी नेता चंपई सोरेन की पकड़ राज्य की राजनीति में ऐसी है कि हेमंत सोरेन जब गिरफ्तार हुए तो कहा जा रहा था कि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन सीएम बनेंगी, लेकिन उन्होंने बाजी मार ली. मंत्री से सीधे मुख्यमंत्री बन गए. राजनीति के जानकारों की मानें तो चंपई सोरेन का 14 सीटों पर दबदबा है. चंपई के आने से भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाने में मदद मिलेगी, लेकिन पार्टी के अंदर खेमेबाजी भी तेज होगी.

बता दें कि चंपई सोरेन का जमशेदपुर समेत कोल्हान क्षेत्र में अच्छी पकड़ है. खासकर पोटका, घाटशिला और बहरागोड़ा, ईचागढ़, सरायकेला-खरसावां और सिंहभूम जिले के विधानसभा क्षेत्रों में मजबूत जनाधार है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में चंपई सोरेन ने जमशेदपुर सीट से ही चुनाव लड़ा था. आदिवासी बहुल इन क्षेत्रों में संथाल और भूमिज समुदाय ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को खूब समर्थन दिया था.

इन 14 सीटों पर चंपई का दबदबा

अगर पिछले कुछ चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो बहरागोड़ा,पोटका, घाटशिला और ईचागढ़ जैसी सीटों पर विधानसभा चुनावों में दस से तीस हजार तक के अंतर से जीत हासिल होती रही है. झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले चंपई अगर बीजेपी में शामिल होते हैं तो इन सीटों पर सीधे तौर पर असर पड़ सकता है. इस सीटों के समीकरण भी बदल सकते हैं.

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि चंपई को अपने पाले में करके बीजेपी को विधानसभा चुनाव में जबरदस्त बढ़त मिल सकता है क्योंकि ईचागढ़ में भी सोरेन का जबरदस्त पकड़ है. यहां तक कि आदित्यपुर जो भाजपा का गढ़ है वहां भी चंपई की राजनीति खूब चमकती है. चंपई की आदिवासी समुदाय, युवा मतदाताओं पर अच्छी पकड़ मानी जाती है.

चंपई के बीजेपी में शामिल होने से झारखंड मुक्ति मोर्चा को कैसे नुकसान हो सकता है इसका अंदाजा पार्टी नेता के बयानों से भी लगाया जा सकता है. दरअसल, बहरागोड़ा के झामुमो विधायक समीर महंती को खुलकर यह स्पष्टीकरण देना पड़ा है कि वह दल नहीं बदल रहे हैं.  कुल मिलाकर चंपई का भाजपा में जाना राज्य की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर ला सकता है.

बीजेपी ने शुरू कर दी है तैयारी

गौरतलब है कि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य दीपक प्रकाश ने कहा है कि चंपई सोरेन को जिस तरह से झामुमो ने मुख्यमंत्री पद से हटाया था, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. हालांकि उनके भाजपा में शामिल होने के सवाल पर दीपक प्रकाश ने कहा कि इसकी जानकारी नहीं है. ऐसा कोई भी मामला केंद्रीय नेतृत्व तय करता है. वहीं, असम के मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि झामुमो के पांच साल के कार्यकाल में सबसे अच्छा काम चंपई सोरेन के छह महीने के मुख्यमंत्री काल में ही हुआ. अब देखना दिलचस्प होगा कि चंपई कहां करवट लेते हैं.

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