Karnataka: कर्नाटक सरकार ने आंगनबाड़ी शिक्षकों के लिए उर्दू भाषा को अनिवार्य कर दिया गया है. इस फैसले पर भाजपा नेता CT रवि ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. रवि ने कहा कि कांग्रेस के अंदर हैदराबाद के निज़ाम की प्रेत-आत्मा घुस गई है. उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया है कि वह निजाम के पुराने एजेंडे को फिर से जिंदा कर रही है और यह कन्नड़ भाषा के खिलाफ है.
#WATCH | Bengaluru: On Karnataka Government reportedly mandating Urdu for anganwadi teachers, BJP leader CT Ravi says, “Nizam attempted to promote Urdu in Hyderabad, Karnataka region. Kannada schools were banned in his time…But his soul now resides within Congress. Congress is… pic.twitter.com/rQ6MBRnLsR
— ANI (@ANI) September 24, 2024
निज़ाम ने कर्नाटक में उर्दू को बढ़ावा देने की कोशिश की थी: रवि
CT रवि ने कहा, “निज़ाम ने कर्नाटक में उर्दू को बढ़ावा देने की कोशिश की थी और इसी दौरान कन्नड़ स्कूलों पर रोक लगा दी थी. अब कांग्रेस वही काम कर रही है. यह कन्नड़ भाषा को कमजोर करने की एक कोशिश है.” उन्होंने यह भी कहा कि टीपू सुल्तान ने अपने समय में कन्नड़ को नजरअंदाज करके फारसी भाषा को थोपने की कोशिश की थी.
रवि ने आरोप लगाया, “आज कांग्रेस टीपू और निजाम के सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रही है. यह कन्नड़ भाषा के लिए एक गंभीर खतरा है. वे कन्नड़ विरोधी हैं.” रवि के इस बयान से कर्नाटक में भाषा और संस्कृति के मुद्दे पर बहस छिड़ सकती है.
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भाषाई विविधता वाला राज्य है कर्नाटक
बता दें कि कर्नाटक को एक भाषाई विविधता वाले राज्य के रूप में जाना जाता है, जहां कन्नड़, उर्दू, हिंदी, और तमिल जैसी कई भाषाएं बोली जाती हैं. यहां भाषा का मुद्दा हमेशा से संवेदनशील रहा है. रवि का बयान उस समय आया है जब कर्नाटक में भाषा नीति पर बहस गर्म है.
वहीं भाजपा नेता और पूर्व सांसद नलिनकुमार कटील ने कहा, “राज्य की कांग्रेस सरकार की यह घोषणा कि आंगनवाड़ी शिक्षक की नौकरी पाने के लिए उर्दू भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है, निंदनीय है. आंगनवाड़ी शिक्षकों की भर्ती में मुस्लिम समुदाय को खुश करने और केवल उन्हें ही नौकरी पाने की अनुमति देने का पिछले दरवाजे से किया जा रहा प्रयास एक बार फिर कांग्रेस की कपटी नीति को उजागर कर रहा है. यह घिनौनी राजनीति की पराकाष्ठा है.”
कर्नाटक में राजनीतिक माहौल गर्म हो रहा है. कई कन्नड़ भाषी लोग अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति जागरूक हैं, और इस तरह के मुद्दों पर वे अपनी आवाज उठाते हैं.