नियमों की अनदेखी और न कोई रडार सिस्टम…केदारनाथ में ऐसे ही नहीं हादसे का शिकार हो रहा हेलीकॉप्टर!

39 दिनों में 5 बड़ी घटनाएं, आखिर क्यों? महज 39 दिनों में 5 ऐसी घटनाएं हुईं, जिनमें हेलीकॉप्टर या तो लैंडिंग के दौरान संतुलन खो बैठे, या रनवे से भटक गए या फिर यात्रियों को उतारने-चढ़ाने में बड़ी दिक्कतें आईं. कुछ मामलों में तो हेलीकॉप्टर में सवार लोगों की जान पर भी बन आई थी.
Kedarnath Helicopter Crash

केदारनाथ हेलीकॉप्टर क्रैश

Kedarnath Helicopter Crash: केदारनाथ की खूबसूरत वादियों में हेलीकॉप्टर से यात्रा करना हर किसी का सपना होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सपनों की उड़ान के पीछे एक खतरनाक हकीकत भी छिपी है? जी हां, पिछले कुछ समय से केदारनाथ में हेलीकॉप्टर उड़ानों में बढ़ती दुर्घटनाओं ने लोगों को हैरान कर दिया है. रविवार को केदारनाथ में एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया जिसमें 7 लोगों की मौत की खबर सामने आई है.

39 दिनों में 5 बड़ी घटनाएं, आखिर क्यों?

महज 39 दिनों में 5 ऐसी घटनाएं हुईं, जिनमें हेलीकॉप्टर या तो लैंडिंग के दौरान संतुलन खो बैठे, या रनवे से भटक गए या फिर यात्रियों को उतारने-चढ़ाने में बड़ी दिक्कतें आईं. कुछ मामलों में तो हेलीकॉप्टर में सवार लोगों की जान पर भी बन आई थी. यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं और सवाल खड़ा करते हैं कि आखिर इन घटनाओं के पीछे क्या कारण हैं?

23 मई: केदारनाथ हेलीपैड पर एक हेलीकॉप्टर संतुलन खो बैठा, जिससे यात्रियों को सुरक्षित रूप से उतारने में परेशानी हुई. गनीमत रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ.

23 अगस्त (2023): व्हाइट लेक एविएशन का एक हेलीकॉप्टर लैंडिंग के दौरान असंतुलित हो गया. कोई चोटिल नहीं हुआ, लेकिन यात्रियों में दहशत फैल गई.

18 अक्टूबर (2022): गढ़वाल पट्टी के एक इलाके में खराब मौसम के कारण एक हेलीकॉप्टर को आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी, जिसमें छह लोग सवार थे.

10 जून: एक हेलीकॉप्टर टेक-ऑफ के दौरान पत्थरों से टकरा गया. शुक्र है कि कोई बड़ी चोट नहीं आई, लेकिन यात्रियों को भारी कंपन महसूस हुआ.

जून 2025 में भी ऐसी ही घटनाएं सामने आईं, जहां हेलीकॉप्टर को इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी और पायलट को यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालना पड़ा.

क्यों हो रही हैं ये लापरवाहियां?

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने केदारनाथ में हेलीकॉप्टर संचालन के लिए कड़े नियम बनाए हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि इन नियमों की अक्सर अनदेखी की जा रही है. पायलटों की अनुभवहीनता, खराब मौसम में उड़ान भरने का दबाव और अत्यधिक उड़ानें कुछ ऐसे कारण हैं जो इन दुर्घटनाओं में योगदान दे रहे हैं. केदारनाथ जैसे पहाड़ी इलाकों में मौसम तेजी से बदलता है. अचानक बादल छा जाना, तेज हवाएं चलना और कम दृश्यता जैसी स्थितियां उड़ान को बेहद चुनौतीपूर्ण बना देती हैं. लेकिन इसके बावजूद, कंपनियों द्वारा सुरक्षा प्रोटोकॉल का ठीक से पालन न करना एक गंभीर चिंता का विषय है.

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DGCA की सख्ती

DGCA ने इन घटनाओं पर संज्ञान लिया है और कई हेलीकॉप्टर कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई भी की है. जांच चल रही है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इन दुर्घटनाओं के पीछे की असली वजह क्या है. हालांकि, सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ नियमों को सख्ती से लागू करने का मामला है या फिर हेलीकॉप्टर कंपनियों को अपनी सुरक्षा नीतियों पर और ध्यान देने की जरूरत है?

बिना रडार और नियमों के उड़ान भरते हैं हेलीकॉप्टर

एविएशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन हादसों के पीछे केदारनाथ घाटी में पल-पल बदलता मौसम है. खराब मौसम के बावजूद एविएशन कंपनियां बिना नियम कायदों का ध्यान रखे उड़ान भरती हैं. यहां हेलीकॉप्टर बिना रुके यात्रियों को लाते और ले जाते हैं. एक तरफ खराब मौसम और दूसरी तरफ ये हेलीकॉप्टर बिना किसी रडार और नियमों के उड़ान भरते रहते हैं, जो इन हादसों की सबसे बड़ी वजह हैं.

एक मीडिया चैनल के साथ बातचीत में एक सीनियर पायलट ने बताया कि ये इलाका बेहद कठिन है, लेकिन इसके साथ ही एक चुनौती ये ही भी है कि तीर्थयात्रियों के लिए उड़ानें भी बढ़ गई हैं और यहां के लिए कोई एयर ट्रैफिक कंट्रोल नेटवर्क और मौसम स्टेशन नहीं है. जिससे सही स्थिति का पता चल सके. वहीं, हेलीकॉप्टर के लिए तय रूट भी नहीं है. ऐसे में जब तक इनपर गहनता से काम नहीं होता है तब तक इनका परिचालन रोक दिया जाना चाहिए.

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