Waqf Amendment Bill 2024: केंद्र सरकार वक्फ की ताकत को कम करने के लिए एक बिल लेकर आई है. इसे लोकसभा में पेश कर दिया गया है. वहीं अब इस पर राजनीति भी खूब हो रही है. विपक्ष ने केंद्र सरकार पर धार्मिक निकाय के अधिकारों का उल्लंघन बताया है. हालांकि, अब केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के कई फायदे गिना दिए हैं. रिजिजू ने संसद में बताया है कि बिल लाने की जरूरत क्यों पड़ी है.
रिजिजू ने कहा कि इसका उद्देश्य उन लोगों को सशक्त बनाना है जिन्हें पहले बहिष्कृत किया गया है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी भी धार्मिक निकाय के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है, बल्कि हाशिए पर पड़े समूहों को अधिकार प्रदान करने का प्रयास करता है. रिजिजू के तर्कों और विधेयक के समर्थन में उनके बताए गए मुख्य बिंदुओं को समझिए.
नहीं होगा धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप
लोकसभा में हंगामे के बीच केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. किसी के अधिकार छीनने की बात तो भूल ही जाइये, यह विधेयक उन लोगों को अधिकार देने के लिए लाया गया है जिन्हें कभी अधिकार नहीं मिले. उन्होंने कहा कि इस विधेयक से संविधान का भी उल्लंघन नहीं हो रहा है. जिन्हें हक नहीं मिला उन्हें हक देने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है. किसी धर्म में दखल नहीं दिया जा रहा है. विपक्ष की सारी आशंकाएं दूर की जाएंगी. इस विधेयक का समर्थन करिए करोड़ों लोगों की दुआएं मिलेंगी.
सच्चर समिति की रिपोर्ट के अनुसार लाया गया विधेयक
रिजिजू ने आगे कहा, “आज जो विधेयक लाया गया है वह सच्चर समिति की रिपोर्ट (जिसमें सुधार की बात कही गई थी) पर आधारित है, जिसे आपने (कांग्रेस ने) बनाया था.” उन्होंने कहा कि विपक्ष कांग्रेस को गुमराह कर रहे हैं. कल देर रात मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल मेरे पास आए थे. कई सांसदों ने मुझे बताया है कि माफिया ने वक्फ बोर्डों पर कब्जा कर लिया है. कुछ सांसदों ने कहा है कि वे व्यक्तिगत रूप से विधेयक का समर्थन करते हैं, लेकिन अपने राजनीतिक दलों के कारण ऐसा नहीं कह रहे हैं. हमने इस विधेयक पर बहुस्तरीय देशव्यापी विचार-विमर्श किया है.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने कहा कि इस विधेयक का नाम अब ‘यूनाइटेड वक्फ एक्ट मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट, 1995- ‘उम्मीद’ रखा गया है. इसलिए मैं उम्मीद करता हूं कि विधेयक के प्रावधानों को समझ कर आप समर्थन करेंगे.
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विधेयक को जेपीसी में भेजने की सिफारिश
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि संसद सदस्यों को किसी धर्म से जोड़ना कहीं से भी सही नहीं है. हम यह नहीं कह रहे हैं कि धर्मों के लोगों को वक्फ बोर्ड का हिस्सा बनाया जाना चाहिए. हम कह रहे हैं कि संसद सदस्य को वक्फ बोर्ड का सदस्य होना चाहिए. अब, अगर सांसद हिंदू या ईसाई है, तो हम इसके बारे में क्या कर सकते हैं. अब अगर किसी सांसद को सांसद होने के आधार पर वक्फ बोर्ड में जोड़ा जाता है, तो क्या हमें सांसद का धर्म बदल देना चाहिए? बताते चलें कि किरेन रिजिजू ने इस बिल को जेपीसी के पास भेजने का भी प्रस्ताव दिया है.