Prem Singh Tamang: लोकसभा चुनाव के साथ सिक्किम में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आज आ गए है. एक बार फिर ‘सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा’ यानी की (SKM) ने प्रचंड बहुमत के साथ राज्य की सत्ता में वापसी की है. एसकेएम ने कुल 32 विधानसभा सीटों में से 31 पर जीत दर्ज कर बहुमत हासिल कर लिया है. केवल एक सीट पर एसडीएफ को जीत जीत मिली है. वहीं, सिक्किम में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के खाते में एक भी सीटें नहीं आई. इस रिकॉर्ड जीत के साथ सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग अपने लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए तैयार हैं.
बता दें कि इस बार मुख्यमंत्री तमांग राज्य के रेनॉक और सोरेंग-चाकुंग विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे. जहां उन्हें दोनों ही सीटों पर जीत मिली है. उन्होंने विश्वास जताया था कि राज्य के मतदाता एसकेएम को एक और कार्यकाल देंगे. वहीं, उनकी पत्नी कृष्णा कुमारी राय ने नामची-सिंघीथांग विधानसभा से चुनाव लड़ी थी और उन्होंने भी यहां से जीत हासिल की हैं.
2019 में मिली थी 17 सीटें
गौरतलब है कि सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) के अध्यक्ष पीएस गोले उर्फ प्रेम सिंह तमांग ने 2019 में 17 सीटें हासिल करके राज्य में 24 से अधिक साल तक सत्ता में रहने के बाद चामलिंग सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था. इस बार उन्होंने 32 में से 31 सीटों पर जीत हासिल की है. चामलिंग की अगुवाई वाले एसडीएफ के संस्थापक सदस्य रहे प्रेम सिंह तमांग ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत कर 2013 में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा बनाया था. उन्होंने एसडीएफ पर भ्रष्टाचार और कुशासन का आरोप लगाया था. गठन के अगले ही साल 2014 के विधानसभा चुनावों में एसकेएम ने 10 सीटें जीती थीं.
सरकारी नौकरी छोड़ राजनीति में एंट्री
नेपाली भाषी माता-पिता कालू सिंह तमांग और धान माया तमांग के बेटे प्रेम सिंह तमांग का जन्म 5 फरवरी 1968 में हुआ था. उन्होंने दार्जिलिंग के एक कॉलेज से बीए किया और एक सरकारी स्कूल में शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया. तमांग ने समाज सेवा के लिए तीन साल की सेवा के बाद सरकारी नौकरी छोड़ दी और फिर एसडीएफ में शामिल हो गए. उनकी तीन दशक की राजनीतिक यात्रा काफी उतार चढ़ाव वाली रही है. वह 1994 से लगातार पांच बार सिक्किम विधानसभा के लिए चुने गए. उन्होंने 2009 तक एसडीएफ सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया.
एसडीएफ सरकार के चौथे कार्यकाल (2009-14) के दौरान चामलिंग ने उन्हें मंत्री पद देने से इनकार कर दिया. इसके बाद तमांग ने पार्टी छोड़ दी और अपना दल बनाया. उन्होंने एसडीएफ के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और एसकेएम प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी संभाली.
2016 में गए थे जेल
2016 में तमांग को 1994 और 1999 के बीच सरकारी पैसे की हेराफेरी करने के लिए दोषी ठहराया गया था और बाद में विधानसभा में उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी. प्रेम सिंह तमांग राज्य के पहले ऐसे राजनेता थे जिन्हें सजा मिलने के बाद विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था. उन्होंने सिक्किम हाई कोर्ट में फैसले को चुनौती दी जिसने फैसले को बरकरार रखा जिसके कारण गोले को समर्पण करना पड़ा. 2018 में जब तमांग जेल से बाहर निकले तो उनके हजारों समर्थकों ने उनका स्वागत किया और अपने नेता के प्रति एकजुटता दिखाते हुए जुलूस निकाला.