Section 144 Imposed In Leh, Ladakh: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लेह में धारा 144 लागू कर दी गई है. शुक्रवार लेह जिला मजिस्ट्रेट(डीएम) संतोष सुखदेव ने इस बाबत आदेश जारी किया है. डीएम की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि उन्हें विश्वसनीय जानकारी मिली है कि जिले में शांति और व्यवस्था के संभावित उल्लंघन की संभावना हो सकती है. ऐसे में किसी भी गड़बड़ी को रोकने और मानव जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिले में सीआरपीसी 1973 की धारा 144 लागू कर दी गई है. वहीं कहा गया है कि डीएम के आदेश का उल्लंघन करने पर कानून के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
सांप्रदायिक बयान देने से भी बचने का दिया निर्देश
आदेश में जिला मजिस्ट्रेट की मंजूरी के बिना जुलूस, रैलियों या मार्च के आयोजन पर रोक लगाया गया दिया गया है. इसके अतिरिक्त लाउडस्पीकरों के उपयोग के लिए सक्षम प्राधिकारी मंजूरी लेनी होगी. अनुमति के बिना सार्वजनिक समारोहों पर सख्ती से प्रतिबंध लगा दिया गया है. आदेश के मुताबिक लोगों को ऐसे बयान देने के लिए भी आगाह किया गया है, जो सांप्रदायिक सद्भाव या सार्वजनिक शांति को बिगाड़ सकता है.
Section 144 Crpc imposed by District Magistrate Leh.
Violation of DM order shall invite punitive action under law.@ADGP_Ladakh @shrutiarora_IPS pic.twitter.com/NboS4IBmly— Leh Police (@LehPolice) April 5, 2024
पश्मीना मार्च से दो दिन पहले लगी 144
वहीं लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य और संविधान की छठी सूची में इसे शामिल करने को लेकर पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक आंदोलन कर रहे हैं. आंदोलन कर रहे पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक सात अप्रैल को लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र में पश्मीना मार्च निकालने वाले हैं, जिसके दो दिन पहले ही लेह में धारा 144 लगा दी गई है. बता दें कि सोनम वांगचुक की 21 दिनों की लंबी भूख हड़ताल 27 मार्च को खत्म हुई थी.
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सोनम वांगचुक पहुंचे अनशन स्थल
सोनम वांगचुक के बाद महिलाओं के एक समूह के साथ 10 दिनों की भूख हड़ताल शुरू की है. महिलाओं के बाद युवा भी अनशन पर बैठने वाले हैं. वहीं 7 मार्च को पश्मीना मार्च का आह्वान किया गया है. इसे लेकर वांगचुक एक बार शुक्रवार को लेह में अनशन स्थल पर पहुंच गए हैं. अनशन स्थल से सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर उन्होंने कहा कि प्रशासन की तरफ से आंदोलनकारियों को डराने-धमकाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि लद्दाख की जनता का आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है. ऐसे में लोगों को डराने के बजाय सरकार को चाहिए कि मांगों को पूरा किया जाए.