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राम जन्मभूमि आंदोलन का वो ‘रथ’, जिस पर सवार होकर आडवाणी ने बदल दी यूपी की राजनीति

Lal Krishna Advani

लालकृष्ण आडवाणी

Lal Krishna Advani:  1990 के दशक की शुरुआत में अयोध्या के राम मंदिर के लिए अपनी रथ यात्रा से पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया गया है. आडवाणी वो व्यक्ति हैं जिनके बिना राम जन्मभूमि आंदोलन की कल्पना करना असंभव है. आडवाणी की इस ‘रथ यात्रा’ ने भारतीय राजनीति की दिशा ही बदल दी थी.

इतना ही नहीं आडवाणी के इसी ‘रथ यात्रा’ ने यूपी की सियासी हवा भी बदल दी थी. रथ यात्रा के ठीक बाद बीजेपी ने पहली बार राज्य में सरकार बनाई. आइये आडवाणी के इस रथ यात्रा के बारे में बताते हैं, जिसने देश की राजनीति में एक अगल तस्वीर बनाई.

बता दें कि आडवाणी ने साल 1990 में गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथ यात्रा निकाली थी. बताया जाता है कि इस ‘रथ’ को फैब्रिकेशन कारोबारी प्रकाश नलवाडे ने बनाया था. देश की राजनीति ने करवट ली. बीजेपी की ये रथ यात्रा अयोध्या नहीं पहुंच पाई. बिहार के समस्तीपुर में आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन बिहार में आडवाणी की गिरफ्तारी यूपी में बीजेपी के लिए सत्ता की चाबी लेकर आई.

आडवाणी ने इस रथ यात्रा से यूपी में बीजेपी के लिए कई राहें खोल दीं. राज्य में कल्याण सिंह की अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनी थी. 90 के दशक में बीजेपी ने पहली बार यूपी में सरकार बनाई थी. हालांकि, इसके बाद फिर साल 1997 में कल्याण सिंह, 1999 में राम प्रकाश गुप्ता, सन् 2000 में राजनाथ सिंह भी राज्य के मुख्यमंत्री बने.


कैसे आडवाणी के नेतृत्व में बीजेपी राम मंदिर आंदोलन में कूद पड़ी

1980 में स्थापित भाजपा ने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 के लोकसभा चुनाव में केवल दो सीटें जीतीं. बीजेपी के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेई भी चुनाव हार गए. इसके बाद साल 1986 में आडवाणी भाजपा प्रमुख बने और पार्टी हिंदुत्व विचारधारा की ओर मुड़ गई.

राजीव गांधी सरकार द्वारा नमाज़ के लिए बाबरी मस्जिद के ताले खोलने का आदेश देने के बाद अयोध्या राम मंदिर आंदोलन ने देशभर में खूब सुर्खियां बटोरी. 9 नवंबर, 1989 को, पालमपुर में भाजपा द्वारा प्रस्ताव अपनाने से ठीक पांच महीने पहले, राम मंदिर का ‘शिलान्यास’ समारोह आयोजित किया गया था.

राम मंदिर संकल्प का लाभ मिला और आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा की सीटों की संख्या दो से बढ़कर 86 हो गई. 1989 में राजीव गांधी ने सत्ता खो दी और राष्ट्रीय मोर्चा ने भाजपा के समर्थन से विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई.

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लालकृष्ण आडवाणी कौन हैं?

कराची में जन्मे लालकृष्ण आडवाणी विभाजन के बाद भारत आ गए. वह बम्बई में बस गये. 1941 में महज 14 साल की उम्र में आरएसएस से जुड़ गए थे. 1951 में वह भारतीय जनसंघ के सदस्य बन गए, जिसकी स्थापना भाजपा आइकन श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी. आडवाणी 1970 में पहली बार राज्यसभा के सदस्य बने. उन्होंने 1989 तक चार राज्यसभा कार्यकाल पूरे किए.आम चुनावों में जनता पार्टी की जीत के बाद वह पहली बार 1977 में सूचना और प्रसारण मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता बने. वह भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. वह तीन बार पार्टी के अध्यक्ष रहे. जब 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी, तो आडवाणी ने गृह मंत्री और उप प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया.

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