Lok Sabha Election 2024: इंडिया गठबंधन में बीते कुछ दिनों से सीट बंटवारे को लेकर बैठकों का दौर जारी है. लेकिन कई दौर की बैठक होने के बाद भी अभी तक कोई बात नहीं बन पाई है. गठबंधन में कई दल ऐसे हैं जो सीट बंटवारे में अपनी मांग को रखकर पेंच फंसा रहे हैं. जानकारों की मानें तो गठबंधन में दस राज्यों में दस दल सीट बंटवारे की मुसीबत बने हुए हैं. इन्हीं दलों के कारण गठबंधन में सीट बंटवारे की बात नहीं बन पा रही है.
लोकसभा सीट के लिहाज से 80 सीटों के साथ सबसे बड़े राज्य यूपी में सपा गठबंधन की बात कांग्रेस के साथ हो रही है. लेकिन तीन दौर की बैठक होने के बाद भी अभी तक फाइनल नहीं हो पाया है. माना जा रहा है कि गठबंधन के लिए कांग्रेस ने 23 सीटों की लिस्ट देकर पंचे फंसा दिया है. उत्तराखंड में सपा के कारण मामला फंसा हुआ नजर आ रहा है, वहां सपा ने दो सीटों की डिमांड रख दी है.
पंजाब और दिल्ली में भी फंसा मामला
ऐसा ही कुछ बिहार में भी है, यहां गठबंधन में कई दलों के होने के कारण सामंजस्य बनाना थोड़ा मुश्किल हो रहा है. हालांकि सूत्रों की मानें तो आरजेडी और जेडीयू का बड़े भाई के रोल में चुनाव में उतरना तय है लेकिन अभी तक सीट बंटवारे पर फाइनल मोहर नहीं लगी है. पंजाब और दिल्ली का मामला कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों के कारण फंसा हुआ है.
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दोनों दलों के नेता राज्य में हर सीट पर तैयारी कर रहे हैं और दो दौर की बैठक के बाद भी बात बनती नजर नहीं आ रही है. इसके अलावा गुजरात में भी आम आदमी पार्टी अपने दावा कर रहे है. गुजरात में आम आदमी पार्टी तीन और गोवा में एक सीट की डिमांड कांग्रेस से कर रही है. पश्चिमी बंगाल की बात करें तो यहां मामला तीन दलों टीएमसी, कांग्रेस और लेफ्ट के बीच फंसा है.
AAP का बढ़ा जनाधार
ऐसा ही तस्वीर हरियाणा में भी है. आम आदमी पार्टी राज्य में लगातार अपना जनाधार मजबूत कर रही है. इस वजह से पार्टी राज्य में कई सीटों पर अपना मजबूत दावा कर रही है. ममता बनर्जी अपने बयानों के जरिए बार-बार कांग्रेस और लेफ्ट को बगावत के संकेत दे रही हैं. उन्होंने दोनों पार्टियों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार कर रखा है. इस वजह से गठबंधन में सीट बंटवारे पर अभी तक बैठक तीनों दलों के बीच नहीं हो पाई है.
इस सभी राज्यों के अलावा महाराष्ट्र और तमिलनाडु में भी गठबंधन में सीट बंटवारा अभी तक नहीं हुआ है. हालांकि तमिलनाडु में 2019 वाला फॉर्मूला DMK और कांग्रेस अपना सकती है. लेकिन महाराष्ट्र में अभी गुत्थी सुझती नहीं दिख रही. उद्धव ठाकरे और शरद पवार के आगे कांग्रेस को अपनी बात मनवाने में काफी मुश्किलें आ रही हैं. यहां इन दलों के साथ दो छोटे दल भी हैं. माना जा रहा है कि ये तीनों ही दल 15-15 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं.