Lok Sabha Election 2024: समाजवादी पार्टी के लिए पहले चरण का नामांकन खत्म होने के बाद भी चुनौती खत्म नहीं हुआ है. पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को राज्य में कई नेताओं की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. पार्टी के लिए रामपुर और मुरादाबाद सीट पर उलझन की स्थिति पैदा हो गई है. इन दोनों ही सीटों पर नामांकन खत्म होने के बाद हर नेता अब अपने गुट के लिए मुखर होते नजर आ रहा है.
इन दोनों ही सीटों पर बुधवार को नामांकन का अंतिम दिन था. लेकिन इस दिन पार्टी के मुस्लिम नेताओं के बीच खटपट ने अखिलेश यादव की चुनौती को बढ़ा दिया. पहले सांसद डॉ. एसटी हसन का नामांकन रद्द होने से उनके गुट ने अपना दबदबा दिखाना शुरू कर दिया तो दूसरी ओर रुचि वीरा के समर्थन भी उनके साथ खड़े नजर आए. रुचि वीरा को सीतापुर जेल में बंद सपा नेता आजम खान का करीबी माना जाता है.
आजम खान के विरोध में उतरे सांसद
वहीं सांसद एसटी हसन का नामांकन रद्द होने के बाद अब उन्होंने सपा के राज्यसभा सांसद जावेद अली का समर्थन मिल गया है. सांसद ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए पोस्ट कर लिखा, ‘नवाबों के दौर में भी मुरादाबाद कभी रामपुर के अधीन नहीं था. न अब है.’ सपा सांसद ने पार्टी के इस फैसले को लेकर सीधे तौर पर आजम खान को निशाने पर लिया है.
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वहीं रामपुर में भी आजम खान के करीबी और बीते दो उपचुनावों में हार का सामना कर चुके आसिम रजा ने नामांकन कर दिया है. जबकि उन्होंने पहले चुनाव में बहिष्कार करने का एलान किया था. वहीं दूसरी ओर मौलाना हिबउल्लाह नदवी ने बतौर सपा प्रत्याशी यहां से नामांकन किया है. ऐसे में अब सपा के लिए बड़ी उलझन की स्थिति बन गई है. पार्टी के चार मुस्लिम नेता मैदान में आ गए हैं. वहीं अब प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल मुरादाबाद में एसटी हसन से बात कर उन्हें मनाने में लगे हुए हैं.