Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव के साथ ही कई राज्यों में विधानसभा चुनाव का ऐलान शनिवार को होगा. भारत निर्वाचन आयोग की प्रेस कांफ्रेंस नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित की जाएगी. इसकी जानकारी आयोग द्वारा शुक्रवार को दी गई है. चुनाव का ऐलान होने के बाद देश में आचार संहिता लागू हो जाएगी. लेकिन सवाल ये है कि आचार संहिता क्या है और कब लागू होती है? आचार संहिता के दौरान किन पाबंदियों का ध्यान रखना होता है.
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव का ऐलान करते ही देश में आचार संहिता यानी ‘मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट’ लागू हो जाता है. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए आयोग द्वारा कुछ नियम बनाए जाते हैं. आयोग द्वारा बनाए गए नियमों का ध्यान चुनाव का ऐलान होने के बाद रखना होता है. इन नियमों को आचार संहिता कहते हैं. आयोग के इन नियमों का ध्यान सभी पार्टियों, नेताओं और सरकारों को रखना होता है.
कब होती है लागू
आचार संहिता, निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव का ऐलान होने के साथ ही लागू हो जाती है और उसके बाद जब तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है तब तक आचार संहिता लागू रहती है. लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता पूरे देश में लागू रहती है जबकि विधानसभा चुनाव के दौरान यह जिस राज्य में चुनाव हो रहा है वहां लागू की जाती है. इस दौरान कुछ नियामों का ध्यान रखना होता है.
चुनावी प्रक्रिया के दौरान आचार संहिता लागू रहती है ऐसी स्थिति में राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और सत्ता में रहने वाली पार्टियों को चुनाव प्रचार, बैठकें और जुलूस आयोजित करने के दौरान अपनी गतिविधियों और कामकाज के आचरण पर विशेष ध्यान देना होता है. कोई भी राजनीतिक दल या नेता ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं हो सकता है जो नफरत फैलाती हो या समाज में तनाव पैदा करती हो.
इन बातों का रखना होता है ध्यान
इस दौरान कोई भी प्रचार में धार्मिक मंचों जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा और अन्य पूजा स्थलों का इस्तेमाल नहीं कर सकता है. इस दौरान वोट के लिए किसी धर्म या जाति की भावनाओं से जुड़ी हुई अपील नहीं की जाती है. देश में सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव में आचार संहित लागू हुई थी. जबकि लोकसभा चुनाव की बात करें तो पहली बार 1962 के आम चुनाव में यह संहिता लागू की गई थी.
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अगर चुनाव के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन होता है तो अनुशासनात्मक कार्रवाई या बर्खास्तगी की कार्रवाई आयोग द्वारा की जा सकती है. इस दौरान किसी भी अधिकारी या कर्मचारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर पाबंदी लगा दी जाती है. अगर आवश्यकत होता है तो आयोग की अनुमति लेनी होती है. संहिता लागू होने के बाद कोई नई योजना की घोषणा या उद्घाटन नहीं होता है.