Lok Sabha Election 2024: इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है. दोनों ही पार्टियों द्वारा संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में दिल्ली समेत पांच राज्यों में सीट बंटवारे का ऐलान किया गया. दोनों ही पार्टियों ने दिल्ली के अलावा गुजरात, गोवा, हरियाणा और चंडीगढ़ में गठबंधन किया है. लेकिन इनके बीच पंजाब में गठबंधन नहीं हो पाया है.
दरअसल, कांग्रेस महासचिव और सांसद मुकुल वासनिक ने शनिवार को दोनों ही पार्टियों के बीच गठबंधन का ऐलान किया. गठबंधन के तहत दिल्ली में कांग्रेस को 3 सीट और AAP को 4 सीट मिली है. इसके अलावा AAP को हरियाणा की कुरुक्षेत्र के अलावा गुजरात की भरूच और भावनगर दी गई है. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा पंजाब की है, जहां दोनों ही पार्टियों के बीच गठबंधन नहीं हो पाया है.
क्या बोले अरविंदर सिंह लवली
ये दोनों ही पार्टियां ने पंजाब में अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इस फैसले पर विस्तार न्यूज ने दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली से बात की. अरविंदर सिंह लवली ने पंजाब में गठबंधन नहीं करने के सवाल पर कहा, ‘हाईकमान के आदेश पर ये अलायंस बना है. अलायंस का मतलब होता है कि मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं और एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं.’
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ‘पंजाब में समीकरण अलग हैं. पंजाब और दिल्ली के समीकरण बिल्कुल अलग हैं.’ अब गौर करने वाली बात ये है कि पंजाब में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में हराकर ही आम आदमी पार्टी सत्ता में आई थी. ऐसे में दोनों की पार्टियों के स्थानीय नेता भी इस गठबंधन के पक्ष में नहीं थे, जो पंजाब में दोनों पार्टियों में गठबंधन नहीं होने की मुख्य वजह की.
AAP-कांग्रेस के बीच दिल्ली में सीट शेयरिंग को लेकर कैसे बनी सहमति? पंजाब पर क्यों नहीं बन रही बात?
देखिए, दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली (@ArvinderLovely) के साथ विस्तार न्यूज़ की ख़ास बातचीत@amrit2tweet #AAP #Congress #ArvinderSinghLovely #Delhi… pic.twitter.com/iFXOkUAzZw
— Vistaar News (@VistaarNews) February 24, 2024
लेकिन अगर पंजाब में विधानसभा चुनाव और बीते लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर हम एक नजर डालते हैं. आम आदमी पार्टी ने बीते विधानसभा चुनाव में राज्य की 117 सीटों में से 92 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि कांग्रेस इस चुनाव में हार गई और पार्टी केवल 18 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी. इन दोनों पार्टियों के अलावा कोई भी दल दहाई के आंकड़े को पार नहीं कर पाया था. शिरोमणि अकाली दल को 3, बीजेपी ने 2 और बसपा और निर्दलीय ने 1-1 सीट पर जीत दर्ज की थी.
पंजाब दोनों पार्टियों में मुख्य मुकाबला
यानी देखा जाए तो पंजाब में अब AAP और कांग्रेस के बीच ही फिर मुख्य मुकाबला होता नजर आ रहा है. लेकिन कुछ राजनीतिक के जानकार ये कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव अगर मुद्दे होते हैं और दोनों ही चुनाव अलग-अलग तरह से होते हैं. ऐसे में हम एक नजर बीते लोकसभा चुनाव के रिजल्ट पर डालते हैं.
बीते लोकसभा चुनाव पंजाब की कुल 13 सीटों में से कांग्रेस ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी. एक सीट आम आदमी पार्टी के हिस्से में गई थी. तब राज्य में बीजेपी और शिरोमणी अकाली दल ने मिलकर चुनाव लड़ा था और चार सीटों पर जीत दर्ज की थी. ऐसे में आंकड़े बताते हैं कि राज्य में कांग्रेस के सामने आम आदमी पार्टी ने बीते विधानसभा चुनाव में खुद को काफी मजबूती से पेश किया है और अब पार्टी सत्ता में है.
राजनीतिक विशेषज्ञ इस गठबंधन के नहीं होने के पीछे दोनों पार्टियों के वोटर्स में आपसी टकराव को भी बताते हैं. राज्य में कांग्रेस और AAP अकेली सबसे बड़ी पार्टियां हैं. AAP के खिलाफ राज्य में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल हैं, इस वजह से दोनों ही पार्टियों के वोटर्स के टकराव का संभावना भी राज्य में गठबंधन नहीं होने की एक वजह बनी है.