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लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों के सहारे कांग्रेस, लेकिन क्यों नहीं बन पा रही बात?

विपक्षी गठबंधन

विपक्षी गठबंधन

Lok Sabha Election: आश्चर्य की बात नहीं है कि आने वाले कुछ समय में बंगाल, पंजाब के बाद अन्य राज्यों में भी INDIA गुट के दलों के बीच खटपट बढ़ जाए. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि कांग्रेस इंडिया गठबंधन का प्रमुख घटक ही नहीं राष्ट्रीय पार्टी भी है. ऐसे में  ‘इंडिया कुनबा’ को मजबूती देने के लिए उसे ज्यादा एफर्ट लगाने थे, लेकिन पार्टी कभी विधानसभा चुनाव तो कभी अन्य मुद्दों को लेकर व्यस्त दिखी. गठबंधन में सबसे अधिक सक्रिय होने के बजाय पार्टी ने अपना अगल रास्ता इख्तियार किया. चाहे बात सीट शेयरिंग की हो या साझा रैली की, कांग्रेस की ओर से इंडिया गठबंधन में तत्परता नहीं दिखीं.

हालांकि, अलग-अलग राज्यों में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस की ओर से डिमांड रखी जा रही थी. यूपी में कांग्रेस ने 20 सीटों की डिमांड कर डाली. बिहार में भी कांग्रेस को करीब 16 सीट चाहिए था. बंगाल में भी इसी तरह की स्थिति रही. कई क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस के डिमांड को सार्वजनिक रूप से नकार दिया था. हालांकि, अब तो ममता बनर्जी ने साफ कर ही दिया है कि बंगाल में वो अकेले ही चुनाव लड़ेंगी. बंगाल की 42 सीटों पर टीएमसी खुद ही उम्मीदवार उतारेगी. पहले ममता ने कांग्रेस को 2 सीट का ऑफर दिया था.

कैसे बेलेंस गेम खेल रही कांग्रेस?

दरअसल, मध्य प्रदेश चुनाव में जब कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी थी तभी से अखिलेश यादव के तेवर तल्ख नजर आ रहे हैं. अखिलेश यादव ने यह कहा था कि जिस तरह का व्यवहार हमारे साथ मध्य प्रदेश में होगा, वैसा ही हम उत्तर प्रदेश में करेंगे. अखिलेश ने एक बात पहले ही साफ कह दी है कि यूपी में गठबंधन का नेतृत्व सपा ही करेगी. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं होने की वजह है कद और पद. कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है. ऐसे में पार्टी ये चाह रही है कि इंडिया गठबंधन का नेतृत्व किसी भी हाल में कांग्रेस ही करे. लेकिन बंगाल में ममता बनर्जी, यूपी में अखिलेश यादव, बिहार में तेजस्वी यादव और दिल्ली पंजाब में आम आदमी पार्टी को ये स्वीकार नहीं. इसलिए धीरे-धीरे इस गठबंधन में दरार पड़ रही है.

वहीं कांग्रेस का तेवर जरा नरम पड़ा है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हम ममता बनर्जी के बिना INDIA गठबंधन की कल्पना नहीं कर सकते हैं. कुछ न कुछ रास्ता निकाला जाएगा. जयराम रमेश ने कहा कि ममता बनर्जी का पूरा बयान है कि हम बीजेपी को हराना चाहते हैं, ये एक लंबा सफर है. कभी कभी रास्ते में स्पीड ब्रेकर लग जाता है. हालांकि, जब हम इस मसले पर कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कमेंट करने से साफ-साफ इनकार कर दिया.

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सीट शेयरिंग पर बिखर रहा इंडिया गठबंधन

बता दें कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सीट शेयरिंग के मुद्दे पर इंडिया गठबंधन में बिखराव शुरु हो गया है. पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाली ममता बनर्जी लोकसभा की कुल 42 सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटों पर अड़ी हुई थी, वहीं कांग्रेस ने प्रदेश में 10-12 सीटों पर अपना दावा ठोंक रही थी. सीट शेयरिंग को लेकर विवाद इस कदर बढ़ा कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. ममता बनर्जी के इस ऐलान के बाद लेफ्ट और कांग्रेस में भी दूरी देखी जा रही है. लेफ्ट ने केरल में सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस पर दबाव बढ़ा दिया है.

बैकफुट पर कांग्रेस

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गठबंधन में शामिल साथियों के अकेले चुनाव लड़ने के एलान के बाद कांग्रेस अब बैकफुट पर नजर आ रही है. कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने ममता को गठबंधन का सीनियर नेता बताते हुए कहा उनसे बातचीत होगी. बंगाल में ममता बनर्जी ने ऐसे समय अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा बंगाल पहुंची है. राहुल गांधी की यात्रा आज इबने से…. पश्चिम बंगाल के कूचबिहार से राज्य में एंट्री की है, ऐसे में अब बंगाल में राहुल गांधी गठबंधन और ममता बनर्जी को लेकर क्या बोलते है इससे आगे की तस्वीर साफ होगी.

कांग्रेस के एक अहम रणनीतिकार का कहना था कि पार्टी गठबंधन के बीच सीट बंटवारे के काम को सफल बनाने के लिए अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ेगी. अगर उसे अपने सहयोगियों को साथ लेने के लिए कुछ अतिरिक्त भी करना पड़े तो वह करने के लिए तैयार है, क्योंकि हमारा मकसद किसी भी हाल में बीजेपी को फिर से सत्ता में आने से रोकना है. हालांकि पार्टी के साथ एक दिक्कत आ रही है कि तमाम राज्यों में सहयोगी दल ज्यादातर उन्हीं सीटों की मांग कर रहे हैं, जहां विपक्ष के लिए जीत की संभावना है या जहां बीजेपी को हराया जा सकता है.

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