Maharashtra Election: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है, और राजनीतिक तापमान अब तेजी से बढ़ रहा है. 20 नवंबर को होने वाले इन चुनावों के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी चुनावी तैयारियों को तेज कर दिया है. खासकर, सीटों के बंटवारे को लेकर बीजेपी और उसके सहयोगियों के बीच बातचीत जारी है.
इस बार चुनावी रणभूमि में बीजेपी के साथ शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) का गठबंधन है. 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 105 सीटें जीतकर राज्य में एक मजबूत स्थिति बनाई थी. इस बार भी पार्टी ने अपनी रणनीति को मजबूत करने के लिए सहयोगियों के साथ तालमेल बिठाने पर जोर दिया है.
बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक
बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति आज बैठक कर रही है, जिसमें 100 से ज्यादा संभावित उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा की जाएगी. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि बीजेपी इस बार 155 से 160 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. इससे स्पष्ट है कि पार्टी अपनी ‘बड़े भाई’ की भूमिका निभाने का इरादा रखती है, ताकि चुनाव में अधिक से अधिक सीटों पर अपना दबदबा बना सके.
दूसरी तरफ, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) ने भी 90 से 95 सीटों पर दावेदारी की है. उनका तर्क है कि चुनावी मैदान में उनके उम्मीदवारों की मजबूत पकड़ है. एनसीपी (अजित पवार) ने भी लगभग 50 सीटों पर अपनी दावेदारी पेश की है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सीटों का बंटवारा किस प्रकार होता है और क्या बीजेपी अपने सहयोगियों की मांगों को पूरा कर पाएगी.
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जनसंपर्क अभियान चला रही है पार्टी
राज्य की राजनीति में इस समय एक नई दिशा देखने को मिल रही है. सत्ताधारी पार्टी अपने उम्मीदवारों को जनता के बीच में उतारने के लिए विभिन्न जनसंपर्क कार्यक्रम आयोजित कर रही है. साथ ही, पार्टी की योजना है कि वे विकास और सुशासन के मुद्दों को चुनावी प्रचार का मुख्य केंद्र बनाएं.
इस चुनाव में बीजेपी को एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि विपक्ष भी तैयारियों में जुटा है. लेकिन बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ एक ठोस योजना बनाई है, जिससे पार्टी को चुनावी मैदान में मजबूती मिलेगी.
आखिरकार, 23 नवंबर को जब चुनाव परिणाम घोषित होंगे, तब यह स्पष्ट होगा कि महाराष्ट्र की सत्ता में कौन सी पार्टी राज करेगी और किस गठबंधन की पकड़ ज्यादा मजबूत साबित होगी. इस समय राज्य की राजनीति में बीजेपी का दबदबा कायम है, लेकिन चुनावी परिणाम सब कुछ बदल सकते हैं.