Vistaar NEWS

“महाराष्ट्र में अकेले चुनाव नहीं जीत सकती BJP”, देवेंद्र फडणवीस ने क्यों कहा ऐसा? जानें महायुति की ये कौन सी रणनीति

Maharashtra Politics

देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी सीएम, महाराष्ट्र

Maharashtra Election: जैसे-जैसे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 की तारीख नजदीक आ रही है, सियासी माहौल गर्माता जा रहा है. 20 नवंबर को होने वाले इस चुनाव में महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी. राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप और गठबंधनों की जटिलताएं इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना रही हैं. इस बीच बीजेपी ने खुद ही स्वीकार की है कि राज्य में पार्टी अकेले दम पर सरकार नहीं बना सकती.

क्या है बीजेपी की स्थिति?

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में कहा कि उनकी पार्टी अकेले चुनाव नहीं जीत सकती, लेकिन सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि महायुति के साथ मिलकर ही उन्हें सत्ता में वापसी की उम्मीद है. फडणवीस ने कहा, “महायुति को बढ़त मिलेगी, और हम सरकार बनाने के लिए आराम से बहुमत हासिल करेंगे.”

भाजपा ने अब तक 288 निर्वाचन क्षेत्रों में से 121 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है. लेकिन टिकट बंटवारे को लेकर अंदरूनी हलचलें भी चल रही हैं. फडणवीस ने इस पर कहा, “मुझे हमारे कुछ महत्वाकांक्षी दावेदारों के लिए दुख है, जिन्हें इस बार चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल रहा है.”

यह भी पढ़ें: 2025 में शुरू होगी जनगणना, 2028 में पूरा होगा परिसीमन… जानें क्या है सरकार का प्लान

महाविकास अघाड़ी की रणनीति

विपक्षी महाविकास अघाड़ी, जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार गुट) शामिल हैं, भी चुनावी मैदान में पूरी तैयारी के साथ उतरी है. उन्होंने अपनी अधिकांश सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. महाविकास अघाड़ी के नेता यह दावा कर रहे हैं कि वे भाजपा की सियासी चालों को मात देंगे.

अघाड़ी के नेताओं ने कहा है कि वे किसानों, युवाओं और महिलाओं के मुद्दों को उठाकर चुनावी रण में उतरेंगे. उनकी योजना है कि वे अपने पिछले कार्यकाल की उपलब्धियों को जनता के सामने रखें और भाजपा की नीतियों पर सवाल उठाएं.

पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे

दरअसल, देवेंद्र फडणवीस ने चुनाव में पार्टी की स्थिति को भांपने के बाद यह बात कही है. पिछले चुनाव में भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी रही थी, लेकिन अकेले बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था. तब बीजेपी ने 105, शिवसेना (अविभाजित) ने 56, एनसीपी (अविभाजित) ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने बहुमत हासिल किया, लेकिन मुख्यमंत्री के मुद्दे पर गठबंधन टूट गया. इसके बाद बीजेपी ने अजित पवार के साथ मिलकर सरकार का गठन किया, लेकिन बहुमत साबित करने में विफल रही और सरकार गिर गई. तब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने नए गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) का गठन किया और 28 नवंबर 2019 को उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने.

इसके बाद 2 जुलाई 2023 को एनसीपी में भी फूट पड़ा और अजित पवार ने बगावत कर बीजेपी-शिवसेना (शिंदे गुट) गठबंधन में शामिल हो गए. सरकार में उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया और एनसीपी के 8 विधायकों ने मंत्री के तौर पर शपथ ली. लंबी लड़ाई के बाद शिवसेना का नाम और निशान शिंदे गुट को मिल गया. इसी तरह एनसीपी का नाम और चुनाव निशान अजित पवार गुट को मिल गया. अब बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है.

विधानसभा चुनाव पर ‘वोट जिहाद’ का साया

फडणवीस ने यह भी कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में ‘वोट जिहाद’ देखने को मिला था, लेकिन विधानसभा चुनावों में इसका कोई असर नहीं होगा. उन्होंने यह भी बताया कि धुले लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के उम्मीदवार ने कई विधानसभा क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन कुछ विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं के व्यवहार के कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है, और चुनाव परिणाम 23 नवंबर को आएंगे.महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच इस बार की सियासी लड़ाई को बेहद दिलचस्प माना जा रहा है. क्या महायुति की रणनीति सफल होगी, या महाविकास अघाड़ी का जादू चलेगा? यह सवाल अब सबके मन में है, और जल्द ही इसके उत्तर भी सामने आएंगे.

Exit mobile version